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________________ अभिग्गहे विगई॥३॥ उग्गए सूरे अनमो, पोरिसि पञ्चख्ख उग्गए सूरे ॥ सूरे उग्गए पु. रिमं, अनत्तहँ पच्चख्खाइत्ति॥४॥ नण गुरू सीसो पुण, पच्चख्खामि त्ति एव वो सिर ॥ उव. ओगित्थ पमाणं, न पमाणं वंजणच्छलणा॥५॥ पढमे गणे तेरस, बीए तिनिउ तिगाश् तर अंमि॥पाणस्स चउत्थंमी, देसवगासाइपंचमए ॥६॥ नमु पोरिसि सवा, पुरिमव अंगुठमाश् अड तेर॥ निवि विगइ अंबिलातय, तिय गासण एगगणाई॥७॥ पढमंमि चउत्थाई, तेरस बोयंमि तश्य पाणस्स॥देसवगासं तुरिए, चरिमे जह संनवं नेयं ॥ ७ ॥ तह मज्ज पच्चख्खाणे सुन पिहु सूरुग्गया वो सिर । करण विहि जन नन्न, जहावसीया बियबंदे॥णा तह तिविद पच्चखाणे, नन्नति अ पाणगस्स (ब) आगारा॥ विहाहारे अचित्त-नोश्णो तह य फासुजले ॥ १० ॥ इत्तुच्चिय खवणंबिल, निवियाइसु फासुयं चिय जलं तु ॥ सहा वि
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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