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________________ (3) नमुत्थुणं . नमुत्थुणं अरिहंताणं भागवंताणं . पहली संपदा आईगराणं तित्थयराणं सयं संबुद्धाणं . पुरिसुत्तमाणं से पुरिसवर गंधहत्थीर्णं तक तीसरी " लोगुत्तमाणं से लोगपज्जोअगराणं तक . चोथी. " अभयदयाणं से बोहिदयाणं तक . पांचमी धम्मदयाणं से धम्मवर चाउरंत चक्कवट्टीणं तक- छठी । " अप्पडिहय वरनाणं से वियट्टछउमाणं तक . सातमी " जिणाणं जावयाणं से मुत्ताणं मोअगाणं तक सव्वन्नूणं से जिअभयाणं तक . नवमी " आठवी " (4) अरिहंत चे. व अन्नत्य सूत्र में अरिहंत चे. करेमि काउ.: वंदणवत्तिया से निरुवसग्ग वत्तिया तक . सध्धाए से ठामि काउसग्ग तक - अन्नत्थ से भमलीए पित्तमुच्छाए तक . सुहुमेहिं अंग से सुहुमेहिं दिट्ठी संचालेहिं तक . अवमाइहिं से हुज्ज मे काउसग्गो तक . जाव अरिहंताणं से नमुक्कारेणं न पारेमि तक तावकार्य से अप्पाणं वोसिरामि तक - पहली संपदा दूसरी " तीसरी " चोथी " पांचमी छठी सातवी आठवी " ____पांच दंडक सूत्र । (1) नमुत्थुणं (2) अरिहंतचे. (3) पुक्खरवरदी . (4) लोगस्स (5) सिध्धाणं बुद्वाण । ० शास्त्र में कही हुई मुद्रा से अस्खलित रीत से जो सूत्र बोले जाते है उसे दंडक सूत्र कहते है। पदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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