________________
पकवान के पांच निवियाते । 1. दूसरा पुडला - तवी या कढाई में आ सके एसा बडा एक मालपुडा तलकर निकाल के उसी घी में अथवा तेल में तला हुआ दूसरा पुडला निवियाता है। 2. चोथा घाण - तीन घाण निकालने के बाद चोथे-पांचमे घाण की पुरी आदि निवियाती है। 3. गुडधाणी - गुड का पाया करके उसमें युक्त की गई धाणी या धाणी के लड्डू निवियाते है। 4. जल लापसी - तलने के बाद बचा हआ घी निकालकर कढाई में रही हुई चिकाश को दूर करने के लिए घउं का जाडा लोट सेक कर गुड का पाणी डालकर दाणावाला शीरा / कंसार बनाये वो । 5.पोतकृत पुडला- तवी पर तेल या घी का पोता देकर बनाया हुआ पोताया निवियाते नीवीमें खा सकते है । ० मदिरा मध मांस व मक्खन में उसी वर्ण के अनेक त्रस-जंतु की व अनंत स्थावर जंतु की उत्पत्ति होती है, इसके भक्षण में बहोत ही हिंसा होती है, इसलिए इसका सर्वथा त्याग करना चाहिए ।
छ प्रकार को पच्चक्खाण शुद्धि 1. फासियं - स्पर्श किया, अनंत तीर्थंकरो ने ये पच्चक्खाण बताया है, इस पच्चक्खाण से मेरा आत्म कल्याण होगा, पाप को रोकता हुआ एसा जो विरति का परिणाम उससे स्पर्श किया । एसे परिणाम के साथ विधि पूर्वक पच्चक्खाण ग्रहण करना । 2. पालियं - पच्चक्खाण करने के बाद बारबार संभाल कर याद करना बराबर पालन करना । 3. सोहियं - गुरु को देने के बाद बचा हुआ वापरना । 4. तिरियं - पच्चक्खाण पारने का समय हो गया हो, तो भी पांच मिनिट अर्थात थोडे समय के बाद पारना ।
99
प दार्थ प्रदीप