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________________ सुबह व शाम के प्रतिक्रमण की संक्षिप्त विधि • सबह की विधि - ० प्रथम इरियावही करके कुसुमिण दुसुमिण का चार लोगस्स का काउसग्ग करना । ० फिर जगचिंतामणी से जयवीयराय तक चैत्यवंदन करना । ० फिर मुहपत्ति बाद में वांदणा | ० फिर इच्छा. संदिसह भगवन् राईअं आलोउं ईच्छ कहकर जोमे राइओ अइयारो कओ । सूत्र बोलना । बाद में वांदणा देना । ० फिर अभुट्ठिओ खामना । बाद में वांदणा और पच्चक्खाण। ० फिर चार खमासमणा • भगवानह आदि । . ० फिर सज्झाय के दो आदेश लेकर सज्झाय करना । ० शाम की प्रतिक्रमण की संक्षिप्त विधि ० - प्रथम इरियावहि करने के बाद चैत्यवंदन करके मुहपत्ति पडिलेवे । - फिर दो वादणा देना । उसके बाद दिवसचरिम का पच्चक्खाण करना। फिर वापिस वादणा देना । - फिर इच्छा. "संदिसह भगवन् देवसि आलोउ इच्छ'' कहकर जो में देवसिओ सूत्र बोलना बाद में वांदणा देकर अब्भुट्ठिओ खामना, फिर चार खमासमणा देना भगवानह आदि । • बाद में देवसिअ पायच्छित का चार लोगस्स का काउसग्ग करना है । - फिर सज्झाय के दो आदेश लेकर सज्झाय करना । परचक्रवाण भाष्य ० दस प्रकार के पच्चक्खाण 1. अनागत - गुरु सेवा भक्ति व ग्लान साधु की सेवा आदि के कारण से बाद में करने का तप पूर्व में कर ले, जैसे संवच्छरी का अट्ठम पजुसण के पहले करना. पदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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