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पुद्गलों को कार्मणशरीर कहते हैं. यह कार्मणशरीर, सब शरीरोंका बीज है,इसी शरीरसे जीव अपने मरणदेशको छोड़ कर उत्पत्तिस्थान को जाता है. जिस कर्म से कार्मणशरीरकी प्राप्ति हो,उसे कामणशरीर कहते हैं।
समस्त संसारी जीवों को तैजसशरीर, और कामण शरीर, ये दो शरीर अवश्य होते हैं ।
२ अवगाहना द्वार-- अवगाहना किसको कहते हैं ? जीव का शरीर जितने आकाश प्रदेशों को अवगाहे (रोके ) उस को अवगाहना कहते हैं । वह जघन्य अंगुल के असंख्यात वें भाग, उत्कृष्ट १००० योजन जाजेरी (कुछ अधिक), उत्तर वैक्रिय करे तो जघन्य अंगुलके असं. ख्यात वें भाग उत्कृष्ट एक लाख योजन जाजेरी ।
३ संघयण द्वारसंहनन किसको कहते हैं ? जिस कर्म के उदय से हाडोंका बंधन हो, उसको संघयण कहते हैं उसके भेद छह
१ वज्रऋषभनाराच- जिसके उदयसे वज्रके हाड, वज्रके बेष्टन और वज्रकी कीलियां हो ।