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। लघुदण्डक का शुद्धिपत्र ।
अशुद्धि शुद्धि ६गा.१ गब्भयतिरियमणुस्सा, पंचिंदियतियनरा,
पंक्ति
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गर्भज.
पंचेन्द्रिय. गर्भज मनुष्य मनुष्य शरीर के सब अंगोपांग किसी खास सकल केन । हो (खराब हो) उनका प्रमाण- १-२-३ उनका प्रमाण एक
समय में-- १-२-३ इसका प्रमाण-१२-३ इसका प्रमाण ए
क समय मे१-२.३. देवता देवता,दण्डक ग्रासरी
१२४ दण्डक का श्रावे
और २४ दण्डक तथा
1 मोक्ष में जावे समचोरंस इसमचउरंस भवधारणीय
शरीर श्रासरी,और उत्तर वैक्रिय शरीर प्रासरी सं
ठाण पावे नाना प्रकार का। नारकी और देवता में नारकी में पर्याप्ति पावे छः
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