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________________ ५६ समय ८ ऊर्ध्व अधो पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण द्वार नरक भवनपति पृथ्वी अप् अग्नि प्रमाण जीव- सर्व प्रदेश शरीर में वायु वनस्पति इंद्री तेंद्री चौरं तिर्यंच पंचेंद्री मनुष्य व्यंतर जोतिषी वैमानिक १ समय लोकांत शरीर प्रमाण शरीर ४ समय लोकांत लोकांत लोकांत लोका काश तुल्य (१८) श्रीपन्नवणा पद ३६मे सात समुद्घात अल्पबहुत्वम् मरणांतिक वेदनी १ ४ संखे ३ असं० ३ विशेष ३ विशेष ३ विशेष ४ वि० ३ वि० २ असं० २ असं० २ असं० ४ असं० ६ असं० ३ असं० ३ असं० ३ असं० २ समय लोकांत ३ समय लोकांत शरीर लोकांत प्रमाण लोकांत लोकांत बाह्य स्तोक अभ्यंतरे स्तोक कषाय २ ३ संखे ४ संखे २ संखे २ संखे २ संखे ३ सं० २ सं० ३ संखे ३ संखे ३ संखे ५ सं० ७ सं० ४ सं० ४ सं० ४ सं० ३ १ स्तोक २ असं० १ स्तोक १ स्तोक १ स्तोक २ असं० १ स्तोक १ स्तोक १ स्तोक १ स्तोक ३ असं० ५ असं० २ असं० २ असं० २ असं० वैक्रिय ४ २ असं० ५ संखे ० o ० १ स्तोक o O ० ० २ असं० ४ सं० ५ सं० ५ सं० ५ सं० तैजस ५ ५ समय लोकांत लोकांत लोकांत शरीर शरीर- शरीर प्रमाण प्रमाण प्रमाण लोकांत शरीर शरीर- शरीर प्रमाण प्रमाण लोका अभ्यंतर बाह्य काश स्तोक स्तोक तुल्य o १ स्तोक ० ० ० O o o ६ ७ ८ समय समय समय लोकांत लोकांत o o १ स्तोक ३ सं० १ स्तोक १ स्तोक १] स्तोक आहारक ६ o ० ० o ० O 0 o o ० नवतत्त्वसंग्रहः O १ स्तोक ० ० o प्रमाण सर्व शरीर में केवल ७ ० O ० o ० O o ० o ० o २ सं० ० o ०
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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