________________
५४
नवतत्त्वसंग्रहः
असमवहता
७ समु
वेदनी । | मरणां- | वैक्रिय | तैजस | आहारका केवल दघात
तिक काल ० | अंतर्मुहूर्त | अंत० | अंत० | अंत० | वि० अं०] अंत० | ८ समय । अतीत | जघन्य | अनंती | अनंती अनंती | अनंती | अनंती | १ | १ काले | उत्कृष्ट | अनंती | अनंती अनंती | अनंती | अनंती ४ आगे जघन्य | करे वीन | नही १| → | ए | व | म् । करेगा,
ही बीजो|
| | |
| उत्कृष्ट | अनंती | अनंत | अनंत | अनंत | अनंत |
४ ।
१ ।।
करे
बहुत्व
||
| शरीर
अल्प- ० ७ विशेष ६ असं०५ अनंत | ४ असं०] ३ असं०] १ स्तोक २ संख्येय | ८ असं०
गुणा | गुणा क्षेत्र | दिशा विष्कंभ बाहुल्य शरीर शरीर शरीर शरीर
शरीर प्रमाण प्रमाण
प्रमाण प्रमाण प्रमाण प्रमाण आयाम लांबपणें । सं.यो. सं.यो. | १४ रज्ज | सं.यो. | सं.यो. | सं.यो. विग्रह समय संख्या क्रिया | ० | ३,४,५ । ३,४,५ | ३,४,५ | ३,४,५ | ३,४,५ | ३,४,५ / ०
(१७) केवल( लि )समुद्धातयंत्रं प्रथम आउज्जी(आवर्जी)करण करे-आत्माकू मोक्ष के सन्मुख करे, पीछे समुद्धात करे. जिस समये में आत्मप्रदेश सर्व लोक में व्याप्त करे तिस समये अपने अष्ट रुचक प्रदेश लोकरुचक पर करे इति स्थानांगवृत्तौ ।
..
समय
समय
समय
समय
समय
समय
समय | समय | समय कार्मण मिश्र | मिश्र |
योग | औदारिक
| औदारिक
कार्मण
कार्मण
औदारिक
मिश्र
करण | दंड करे | कपाट करे | मंथान
__ करे
| |
अंतर | अंतर | मंथान | कपाट | दंड संहरे पूरे | संहरे | संहरे | संहरे | शरीरस्थ