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________________ आश्री F नवतत्त्वसंग्रहः नाम | कृष्ण लेश्या । नील लेश्या | कापोत लेश्या | तेजोलेश्या | पद्म- | शुक्ल २ ४ लेश्या ५ लेश्या ६ रस द्रव्य-कटुक उंब १ नींब २ यथा त्रिकूट रस | तरुण आम्ररस पक्व आम्र घर | यथा लेश्या | अर्कपत्र इसके | १ हस्ती पीपलना | कचा 'कविट्ठ| रस १ | वारुणी | खज्जूर | रस से अनंत गुण रस एहथी अनंत | फल रस | पाका कौठ| मद १ | रस १ कटुक रस । गुणाधिक | इनथी अनंत | फल २ रस पुथ्यका द्राख रस गुणा कषायला| इनसे अनंत मद २ | २ गुणाधिका मधु मद्य-| खंड रस | विशेष ३] ३ सिरका | मिसरी इनसे रस इनसे अनंत | अनंत ५ गुणा गुणा गंध . मृतक गौ १ मृतक | पूक सुगंध- ए | ए द्रव्य- | श्वान २ मृतक सर्प वत् तथा |→ व →व लेश्या | ३ इनके दुर्गंध से सुगंध पी- म् । म् आश्री | अनंत गुणाधिक सता जैसी सुगंध इनसे अनंत गुणा स्पर्श करवतनी धार १ यथा वूर | ए । ५ द्रव्य- गौ जिह्वा २ साक वनस्पति १→ व → व लेश्या वनस्पतिना पत्र म्रक्षण २ म् । म् आश्री | इनके स्पर्श से अनंत शिरीष कुकर्कश स्पर्श सुम इनसे अनंतसा कोमल है परिणाम- जघन्य १ मध्यम २ उत्कृष्ट ३ इनका ९ →व | →व | → व → व → व फेर २७ फेर ८१ फेर २४३ इस तरे असंखवे २ करणा नियमन करणा के इतने परिणाम है लक्षण २१ बोल १५ बोल । १२ बोल | १३ बोल | १२ बोल | १८ बोल विशिष्ट पांच आश्रवना | ईर्ष्या-पर गुन | वांकां बोले १ | नीचा वर्ते | पतले आर्त रौद्र लेश्यानी सेवनहार ५ तीन । असहन १ अभि-| वक्राचारी २ | १ अचपल| क्रोध १ | वर्जे २ समुच्चय FA १. कोठ।
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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