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२ सं.
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नवतत्त्वसंग्रहः (१८५ लवणसमुद्रे सिद्धा | १ स्तोक
धातकीषंड सिद्धा
४ सं. कालोदधि सिद्धा
पुष्करार्धद्वीप सिद्धा ५ सं. जंबूद्वीप सिद्धा
३ सं. (१८६) अथ तीनो द्वीपकी मिलायके अल्पबहुत्वयंत्रम्. ए तीनो यंत्र परंपरासिद्ध. द्वीपनाम | भरत । हैमवंत | हैमवंत | महाहेमवंत | हरिवास | निषध | देवकुरु
महाऐरावत | शिखरी | ऐरण्यवत | रूपी | रम्यक | नीलवंत | उत्तरकुरु विदेह जंबू । ७सं. | १ स्तो. | २ सं. | ३ सं. | ५ वि. | ६ सं. | ४ सं. ८ सं. धातकी ७ सं. | १ स्तो. | ४ वि. | २ सं. | ६ वि. | ३ सं. | ५ सं.. ८ सं. पुष्करार्ध ७ सं. | १ स्तो. ४सं. | २ सं. | ६ वि. | ३ सं. । ५ सं. | ८ सं.
(१८७) द्वीपनाम भरत | हैमवंत | हैमवंत | महाहेमवंत| हरिवास | निषध | देवकुरु
महाऐरावत | शिखरी | ऐरण्यवत | रूपी | रम्यक | नीलवंत | उत्तरकरु| विदेह ___ जंबू । १९ सं. । १ स्तो. । २ सं. | ३ सं. ५ वि. | ६ सं. | ४ सं. | २२ संख्येय
धातकी २० सं. | ७ वि. | १२ वि. | ८ सं. | १५ वि. | १० सं. | १४ सं. | २३ संख्येय पुष्करार्ध | २१ सं. | ९ सं.तु | १६ सं. | ११ सं. | १८ वि. | १३ सं. | १७ सं. | २४ संख्येय
(१८८) अथ आगे कालद्वारे परंपरासिद्धांकी अल्पबहुत्व लिख्यतेआरे ६ | सुषमसुषम | सुषम | सुषमदुःषम | दुषमसुषम | दुःषम | दुःषमदुःषम अवसपिणी | ५ वि | ४ वि | ३ असंख्येय | ६ संख्येय | २ संख्येय | १ स्तोक उत्सपिणी | ५ वि | ४ वि । ३ असंख्येय | ६ संख्येय | २ संख्येय | १ स्तोक
(१८९) अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी दोनाकी एकठी अल्पबहुत्वयन्त्रम् आरे ६ । | सुषमसुषम | सुषम | सुषमदुःषम | दुषमसुषम | दुःषम | दुःषमदुःषम अवसर्पिणी ५ वि | ४ वि | ४ असंख्येय | ६ संख्येय | ३ संख्येय | १ स्तोक अवसर्पिणी
७ संख्येय उत्सर्पिणी | ४ वि | ४ वि | ४ असंख्येय | ६ संख्येय | २ वि. | १ स्तोक | उत्सर्पिणी
८ वि (१९०) गतिद्वारे गतिका आया अनंतर | नरक | तिर्यंच | तिर्यचिणी | मनुष्य | मनुष्यणी | देव | देवी
अल्पबहुत्व | ३ सं. | ५ सं. | ४ सं. | २ सं. | १ स्तोक | ७ सं. | ८ सं.