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नवतत्त्वसंग्रहः (१३७) औदारिक शरीरके सर्वबंध, देशबंधका अंतरा २ सर्वबंधका अंतरा
देशबंधका अंतरा समुच्चय औदारिक
ज० ३ समय ऊणा क्षुल्लक भव ज०१ समय, उ०३ समय १, उ० ३३ सागर पूर्व कोड -अधिक ३३ सागर
१ समय अधिक समुच्चय एकेन्द्रिय ज० ३ समय ऊणा क्षुल्लक भव
ज०१ समय, औदारिक १, उ० १ समय अधिक
उ० अंतर्मुहूर्त १ २२,००० वर्ष
पृथ्वीके औदारिकका ज०३ समय ऊणा क्षुल्लक भव १, ज०१ समय, उ०३ समय
उ० १ समय अधिक २२,००० वर्ष अप्, तेउ, वणस्सइ,
ज०३ समय ऊणा क्षुल्लक ज०१ समय, उ० ३ समय बेइंद्री, तेइंद्री, चौरिंद्री भव १, उ० १ समय अधिक
जिसकी जितनी स्थिति वायु औदारिक ज० ३ समय ऊणा क्षुल्लक
ज०१ समय, भव, उ० समय अधिक ३,००० वर्ष उ० अंतर्मुहूर्त पंचेन्द्रिय तिर्यंच, मनुष्य ज०३ समय ऊणा क्षुल्लक
ज०१ समय, भव, उ० पूर्व कोड १ समय अधिक उ० १ अंतर्मुहूर्त जीव एकेन्द्रियपणा छोडी नोएकेन्द्रिय हुया फेर एकेन्द्रिय होय तो सर्वबंध, देशबंधना कितना अंतर ए (१३८) यंत्रम्
सर्वबन्धान्तरम्
देशबन्धान्तरम् एकेन्द्रिय नोएकेन्द्रिय ज०३ समय ऊणा २ क्षुल्लक
ज०१ समय अधिक १ फेर एकेन्द्रिय हुया भव, उ०२,००० सागर
क्षुल्लक भव, उ०२,००० संख्याते वर्ष अधिक
सागर संख्याते वर्ष अधिक पृथ्वी, अप, तेउ, वाउ, ज०३ समय ऊणा २ क्षुल्लक
ज०१ समय अधिक १ बेइंद्री, तेइंद्री, चौरिंद्री
भव, उ० वनस्पतिकाल
क्षुल्लक भव, उ० वनस्पतिकाल तिर्यंच पंचेंद्री, मनुष्य
असंख्य पुद्गलपरावर्त __ असंख्य पुद्गलपरावर्त । वनस्पति ज० ३ समय ऊणा २ क्षुल्लक
ज० २ क्षुल्लकभव, भव, उ० असंख्याती
३, वनस्पतिकाल ___ अवसर्पिणी उत्सर्पिणी (१३९) औदारिक शरीरके सर्वबंध, देशबंध, अबंधककी अल्पबहुत्व देशबंध
सर्वबंध
_अबंधक असंख्य गुणा ३ सर्वसे स्तोक १
विशेषाधिक २ ए औदारिकका यंत्र चौथा इति औदारिक.