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नवतत्त्वसंग्रहः
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उपाश्रय दूकडा जिस जगे जिस मंडले
निवर्त्या पछे सूझे निवर्त्या पछे सूझे
१ अहोरात्र
उपाश्रय दूकडा स्त्री पुरुष झूझे मल्लयुद्धे
होली पर्वे रज उडे निर्घात वादले अथवा अणवादले
शब्द कडकड होवे जूव० शुक्ल पक्षनी पडिवासे ३ दिन जक्खालिए आकोशे अग्नियक्षप्रभावे ____ काबी धौली धूयर गर्भमासे
१ प्रहर रात्रि
सब जगे जिस मंडले जिस जगे
१ प्रहर जा लग पडे तां लग सर्व क्रिया न करे
६० हाथ दूर नही उपाश्रय अभ्यंतर
३ प्रहर १ अहोरात्रि
१०० हाथ उरे उपाश्रयमे
२५५
२६
१ अहोरात्रि ३ दिन ८ दिन
७ दिन १२ वर्ष लगे तब लगे
२९
सदा नवा राजा न बैठे
३१
२२ | पंचेन्द्रिय तिर्यंचना हाड, मांस लोही, चाम
मांजारी मुसा आदि मारे उपाश्रये
तथा ले जावे २४ मनुष्याना हाड, मांस, लोही, चाम
स्त्रीधर्मनी
स्त्रीजन्मनी २७
पुरुषजन्मनी हाड पुरुषथी अलग कीया
मलमूत्र ३०
मसाणना समीपे
राजाके पडणे ३२ , गाममे असमंजस प्रवर्ते न भांजे तो ३३ सात घरमे कोइ प्रसिद्ध पुरुष मरे ३४ तथा सामान्य पुरुष सात घरांतरे मरे ३५ इंडा पू(फू)टे गाय वियाइ जर पडे
भूमी कंपे
बुदबुदा रहित तथा सहित वर्षे ३८
नान्ही कुंवारे निरंतर वर्षे ३९
पक्षीनी रात्रि प्रभात १, मध्याह्न २, अस्त ३,
अर्ध रात्रि ४ आसो १ कार्तिक २, चैत्र ३, आषाढ
४ पूर्णमासी
८ प्रहर
१०० हाथ माहे जा लग दीषे गंध आवे १०० हाथ चौफेरे जहां ताइ आज्ञा जिस मंडले जिस गामे जिस गामे जिस जगे जिस जगे जिस जगे जिस मंडले सब जगे
१ अहोरात्रि कलेवर काढ्या पीछे मुझे
३ प्रहर
३६
३७
८ प्रहर अहोरात्रि उपरांत असज्झाइ
७ दिन असज्झाइ ४ दिन असज्झाइ
सब जगे
२ घटी
सब जगे
१ अहोरात्रि