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________________ ३८० नवतत्त्वसंग्रहः वेलंधर अनुवेलंधर ० ००० दिग् ४ ४२,००० संख्या दिग् समुद्रमे जाय विष्कंभ शिखरविस्तार मूलविस्तार ऊंचाई - शिखर ४२४ १,०२२ १,७२१ ९६९ १० यो. विदिग् ४ . ४२,००० यो० -४२४ यो० १,०२२ यो० १,७२१ यो० ९६९६० यो. दिसें ४ दिसा ४ दिसा आयाम ____नन्दीश्वरद्वीपे यतः अञ्जनगिरिवृत्तस्यामः (?) वापीमध्ये दधिमुखाः वृत्ताः श्वेताः, वाप्यन्तरे द्वौ द्वौ रतिकरौ अस्त्रो (स्तः ?) एवं अष्टौ रतिकराः, चत्वारो दधिमुखाः, एकोऽञ्जनगिरिः, एवं एकाभ्यां(कस्यां ?) दिशि त्रयोदश पर्वताः स्युः, चतुर्दिक्षौ(क्षु) च द्विपञ्चाशदिति विदिक्षु च इन्द्राणीनां राजधानी (?) सन्ति नन्दीश्वरे. अग्रे सर्वाणां स्थाना(नि) चित्रात् ज्ञेयं (ज्ञेयानि). (१३०) नन्दीश्वरद्वीपयंत्रम् स्थानांगचतुर्थस्थानात् नामानि विष्कंभ | परिधि | उंचा अध: संस्थान अंजनगिरि १०,००० मू । यथायोग्य | ८४ सहस्र | १००० यो. | गोपुच्छ १,००० उपर योजन एक लाख | १००० यो. योजन योजन दधिमुख १०,००० | यथायोग्य ६४ सहस्र | १००० यो. योजन योजन रतिकर १०,००० यो. | यथायोग्य | १००० यो. | २५० यो. राजधानी ___ जंबूद्वीप | जंबूद्वीप ० । ० चंद्र (१३१) अथ ऊर्ध्वलोके स्वरूपचिंतनयंत्र. प्रथम बारदेवलोके देवता देवलोक- | सौधर्म | ईशान | सनत्कु- | माहेन्द्र | ब्रह्म ५ लान्तिक | शुक्र ७ | सहस्रार | आनत ९ आरण नामानि | १ | २ | मार ३ | ४ | प्राणत अच्युत वापी ५०,००० आयाम पल्लक । ० । ० | अर्ध संस्थान | अर्ध | अर्ध | अर्ध | अर्ध | पूर्ण | पूर्ण | पूर्ण | पूर्ण | अर्ध चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र | चंद्र आधार | घनोदधि | घनोदधि | घनवात | घनवात | घनवात | २ | २ | २ | आकाश | आकाश
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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