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नवतत्त्वसंग्रहः
(१२२) अथ व्यंतर १६ का यंत्र तिर्यग् लोके चिंतवे
व्यंतरनाम
महोरग । गान्धर्व
पिशाच | भूत | यक्ष | राक्षस | किन्नर | किंपुर
(रुष) असंख्य जंबूद्वीप
नगरसंख्या
4I4
नगरपरि
||
माण
मध्यम्
विदेह
।
जघन्य
भरतक्षेत्र
।
चिह्न
कलंब
सुलस | वड वृक्ष| तापसपात्र | अशोक | चंपग | | नाग |
तुंबरु
वर्ण
श्याम
श्याम
| श्याम
धवल | नील । धवल
| श्याम
श्याम
इन्द्र
काल सरूप
भीम | किन्नर | सत्पुरुष |अतिकाय | | गीतरति महाकाल | प्रतिरूप | मणिभद्र| महाभीम | किंपुरुष | महापुर- | महाकाय | गीतयश
सामानिक
४०००
आत्मरक्षक] १६,०००
अनीक
अग्रमहिषी
परिषद्
व
कुहुंड
पयंगदेव
व्यंतर लघु | अणपन्नी | पणपन्नी | इसिवाइ| भूयवाइ | कंदिय | महा
कंदिय संनिहिय | धाइ | इसि | ईसरप | सुवत्स | हास्य
पयंग
श्वेत १३
११
१५
पयगे
समाणि | विधाइ | इसिपाल| महेष सुविशाल | हास्य
रति १२
१०
१४