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सप्तचत्वारिंशत्शतभङ्गाः-प्रथमव्रते सप्तचत्वारिंशत्शतं भंगाः द्विकादिसंयोगे अष्टत्वारिंशत्शतगुणितं सप्तचत्वारिंशत्शतप्रक्षेपक्रमेण - तावद्० ।
प्रा० १
| मृ० २ | अ० ३ | मैथुन ४ | परि० ५/ दिग् ६ | भोगो० ७ | अन० ८ | सामा० ९ | दिशा० १० | पौषध ११ | अतिथि० १२
मने करी करूं नही
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ए |
व
|
म्
| २१६ । १२९६ । ७७७६
| ४६६५६ | २७९९३६/१६७९६१६१००७७६९६६०४६६१७६ | ३६२७९७०५६
मने करी करावं नही १
वचने करी | १२ | ७२ | ४३२ | २५९२ | १५५५२ / ९३३१२ | ५५९८१२ | ३३५९२३२ /२०१५५३९२ १२०९३२३५२ ७२५५९४११२ करूं नही २
वचने करी | १८ | १०८ / ६४८ | ३८८८ | २३३२८ | १३९९६८ | ८३९८०८ ५०३८८४८ | ३०२३३०८८ १८१३९८५२८ १०८८३९११६८ करावू नही ३| काया करी | २४ । १४४ | ८६४ / ५१८४ | ३११०४ | १८६६२४ | १११९७४४/६७१८४६४ | ४०३१०७८४ २४१८६४७०४ १४५११८८२२४ करूं नही ४
काया करी | ३
| ३० | १८० | १०८० | ६४८० ३८८८८०/ २३३२८० | १३९९६८० ८३९८०८० ५०३८८४८० ३०२३३०८८० १८१३९८५२८० करावू नही ५
१ संयोगी
२ सं० | ३ सं०
४ सं० | ५ सं०] ६ सं० ।
७ सं० |
८ सं० । ९ सं०
| १० सं० |
११ सं०
१२ सं०
६ । ३६ । २१६ | १२९६ | ७७७६ | ४६६५६ | २७९९३६ १६७९६१६/१००७७६९६/६०४६६१७६ ३६२७९७०५६ २१७६७८२३३६ एग वए छ भंगा, निद्दिट्ठा सावयाण जे सुत्ते । ते च्चिय वयवुड्डीए, सत्तगुणा छज्जुया कमसो ॥१॥
नवतत्त्वसंग्रहः