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२८६
१२ काल
१३ गति,
पदवी - इंद्र,
सामानिक,
त्रायरिंशत्,
लोकपाल,
अहमिन्द्र
१४ संयमस्थान
अल्पबहुत्व १५ चारित्र- पु
जघन्य
उत्कृष्ट
अवसर्पिणीमे जन्म आश्री
३/४ आरे
छता भाव
आश्री ३ ४ ५
आरे. उत्स
पिणीमें जन्म
क
आश्री २३|४
आरे, छता भाव आश्री
३।४ आरे
पर्यायना ब अनंत गुण
अधिक
ज० सौधर्म, उ०
८ मा देवलोक,
पदवी ४ मेसुं
एक, स्थिति
ज० पृथक् पल्योपम, उ० १८ सागरोपम
सन्निकर्ष प्र अनंत गुण
अधिक
६ स्थान
स्ना
असंख्याते, ३
असंख्य गुणे
६ स्थान
नि अनंत गुण
अधिक
अनंत
गुण
अधिक
१ स्तोक
२ अनंत गुण
जन्म अवस
र्पिणी ३|४|५
आरे, छता
३४ आरे, उत्सर्पिणी
जन्म आश्री
३।४।२, छता
३।४, संहरण
सर्व
सौधर्म, १२ मे देवलोक, पदवी ४ मेसुं एक, स्थिति
ज० पृथक् पल्योपम, उ० २२ सागरोपम
असंख्याते, ४ असंख्य गुणे
अनंत गुण
हीन
६ स्थान
६ स्थान
६ स्थान
अनंत गुण
अधिक
अनंत गुण
अधिक
३ अनंत गुण
४ अनंत गुण
बकुशवत् बकुशवत्
बकुशवत्
असंख्याते, ५
असंख्य गुणे
अनंत गुण
हीन
६ स्थान
६ स्थान
६ स्थान
अनंत गुण
अधिक
अनंत गुण
अधिक
३ तुल्य ५ अनंत गुण
ज० सौधर्म,
उ० पांच
अनुत्तर, पदवी पांच
मेसु एक, ज० पृथक्पल्योपम,
उ० ३३ सा०
असंख्याते, ६
असंख्य गुणे
६ स्थान
६ स्थान
६ स्थान
६ स्थान
अनंत गुण
अधिक
अनंत गुण
अधिक
१ तुल्य
६ अनंत गुण
नवतत्त्वसंग्रहः
जन्म आश्री निर्ग्रन्थ
पुलाकवत्
वत्
संहरण
आश्री
सर्वत्र
पांच अनुत्त
रमे, पदवी
एक अह
मिन्द्र, स्थिति ज०
उ० ३३ सागरोपम
एक,
तोक
अनंत गुण
हीन
अनंत गुण
ही
अनंत गुण
हीन
अनंत गुण
हीन
तुल्य
तुल्य
०
७ अनंत
मोक्ष
गति
२ एक,
तुल्य
अनंत गुण
हीन
अनंत गुण
हीन
अनंत गुण
अनंत गुण
ही
तुल्य
तुल्य
o
७ तुल्य