________________
३०
३९४
૩૯૫
३९६
३९४ ८५ ३९४ --उ८५ ३९६ उ८७ ३९६ ૩૯૭ ३९६ ૩૯૭
૩૯૭ ३९६ ૩૯૭ ३९६ ૩૯૭
૩૯૯ ३९८ ૩૯૯ ३९८ ૩૯૯ ४०० ४०१ ४०० ४०१
४०१
३९८
४०२ ४०२
(१६९) वैक्रियशरीरप्रयोगबन्धान्तरम् (कोष्टक-१४१) (१७०) जीव हे भगवान्) वायुकाय हुइने नोवायुकाय हुया फेर वायुकाय हुइ
तो अंतरयन्त्रम् (कोष्टक-१४२) (१७१) वायु, मनुष्य, तिर्यंच पंचेन्द्रिय वैक्रिययन्त्रम् (कोष्टक-१४३) (१७२) वैक्रियना सर्वबंधादि संबंधी अल्पबहुत्व (कोष्टक-१४४) (१७३) आहारक शरीरना प्रयोगबंधनी स्थिति (कोष्टक-१४५) (१७४) अंतर (कोष्टक-१४६) (१७५) अल्पबहुत्व सर्व० देश० अबन्ध (कोष्टक-१४७) (१७६) (तैजस शरीर)(कोष्टक-१४८) (१७७) (कार्मण शरीर) (कोष्टक-१४९) (१७८) आपसमे नियम भजनेका यंत्र (कोष्टक-१५०) (१७९) अल्पबहुत्वयन्त्रम् (कोष्टक-१५१) (१८०) आपआपनी अल्पबहुत्व (कोष्टक-१५२) (१८१) (पापकर्मादि आश्रयी भंग) (कोष्टक-१५३) (१८२) (वेदनीय आश्रयी भंग)(कोष्टक-१५४) (१८३) (आयु आश्रयी भंग)(कोष्टक-१५५) (१८४) पापकर्म १ मोह २ ज्ञाना० ३ दर्शना० ४ वेदनीय ५ नाम ६ गोत्र ७
अंतराय ८ आश्रयी (कोष्टक-१५६) (१८५) आयु आश्रयी यंत्र (कोष्टक-१५७) (१८६) (अतीतादि आश्रयी भंग) (कोष्टक-१५८) (१८७) (भव आश्रयी भंग)(कोष्टक-१५९) (१८८) संपरायके बंधके भंग (कोष्टक-१६०) (१८९) कर्म समुच्चय जीव मनुष्य आश्रयी (कोष्टक-१६१) (१९०) शेष २३ दंडक आश्रयी ४ भंग (कोष्टक-१६२) (१९१) श्रीपन्नवणापद. (१६३) अथ आयुयन्त्रम् (कोष्टक-१६३) (१९२) भगवती बंधी ५० बोलकी अष्ट कर्म आश्रयी( कोष्टक-१६४) (१९३) अथ मार्गणा उपरि बंधद्वार (१९४) अथ उदयाधिकारः लिख्यते गुणस्थानेषु(१९५) अथ सत्ताधिकार कथ्यते (१९६) उत्कृष्ट प्रकृतिबन्धयन्त्रम् शतकात् (कोष्टक-१६५) (१९७) जघन्यप्रकृतिबन्धस्वामियन्त्रम( कोष्टक-१६६) (१९८) अथ स्थितिबंध अल्पबहुत्व संख्या (कोष्टक-१६७) (१९९) अथ ४१ प्रकृतिका अबंध कालयंत्र (कोष्टक-१६८) (२००) अथ ७३ अध्रुवबंधनो उत्कृष्ट जघन्य निरंतर बन्धयन्त्र (कोष्टक-१६९) (२०१) अथ उत्कृष्ट रसबन्धस्वामियन्त्रं शतककर्मग्रन्थात् (कोष्टक-१७०) (२०२) अथ जघन्यरसबन्धयन्त्रम् (कोष्टक-१७१) (२०३) अथ प्रदेशबन्धयन्त्रम्, मूल प्रकृतिना उत्कृष्ट
प्रदेशबन्धस्वामि शतकात् (कोष्टक-१७२)
४०४ ४०४
४०३ ४०३ ૪૦૫ ४०५ ૪૦૫ ४०७ ४०७
४०४ ४०६
४०६
४०६
४०७
Hair
४०८ ४१० ४२४ ४५०
४५६
४०८ ૪૧૧ ૪૨૫ ૪૫૧ ૪૫૭ ૪૫૭ ૪૫૯ ૪૫૯ ૪૬૧ ૪૬૧
४५६ ४५८ ४५८ ४६० ४६० ४६२
४६३
४६२४६३