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(१०३) भगवती शते १२ मे, उद्देशक १० मे पुद्गलभंग (कोष्टक-९०) (१०४) भगवती शते ८ उद्देशे १०मे पुद्गलके भंग (कोष्टक-९१) (१०५) भगवती शतक ५ मे उद्देशे ७ स्पर्शनायन्त्रम् (कोष्टक-९२) (१०६) श्रीभगवतीके (श. २५, उ.३) मे ५
। संस्थानस्वरूप तथा देशयंत्रस्थापना (कोष्टक-९३) . (१०७) भगवती श० २५, उ० ४ (सू० ७४०) परमाणु द्विप्रदेशादि १३
बोलाकी अल्पबहुत्वयंत्रम् (कोष्टक-९४) (१०८) (कोष्टक-९५) (१०९) भगवती शतक २५, उ०४ सू०७४१ (कोष्टक-९६) (११०) परमाणु आदि अनंतप्रदेशी स्कंध चल अचल स्थिति भगवती
(श० २५, उ० ४, सू०७४४)(कोष्टक-९७) (१११) अंतरयंत्रं भग० सू०७४४ (कोष्टक-९८) (११२) कालमान स्थितमान यंत्रम् भग० श० २५, उ० ४ (सू०७४४)(कोष्टक-९९) (११३) अंतर मानका यंत्र (भग० सू०७४४)(कोष्टक-१००) (११४) भगवती (श० २५, उ० ४, सू० ७४४, पृ.८८५)(कोष्टक-१०१) (११५) परमाणुपुद्गल सैज निरेज (अल्पबहुत्व) भग० श० २५, उ० ४
(सू०७४४)(कोष्टक-१०२) (११६) अल्पबहुत्व (कोष्टक-१०३) (११७) परमाणु संख्येय प्रदेश असंख्येय प्रदेश अनंत प्रदेशी से( सि )या
चल निरेया अचल अल्पबहुत्व (कोष्टक-१०४) (११८) भगवती (श. २५, उ. ४)(कोष्टक-१०५) (११९) (कोष्टक-१०६) (१२०) द्रव्य ६, गुण चार २ एकेकना नित्य है (कोष्टक-१०७) (१२१) पर्याय षट् द्रव्यना चार चार (कोष्टक-१०८) (१२२) पुद्गलयंत्रं भगवती (श० २०, उ० ४) (कोष्टक-१०९) (१२३) भगवती शते ८ उद्देशे १ मे पुद्गलयंत्र (कोष्टक-११०) (१२४) (३) 'पुण्य' तत्त्व लिख्यते । (१२५) (चक्री आदि संबंधी माहिती)(कोष्टक-१११) (१२६) (४) अथ 'पाप' तत्त्व लिख्यते (१२७) (५) अथ 'आश्रव' तत्त्व लिख्यते (१२८) (६) अथ 'संवर' तत्त्व स्वरूप लिख्यते (१२९) अथ ३६ द्वार यंत्रमे वर्णन करीये है (कोष्टक-११२) (१३०) अथ श्रीभगवती (श. २५, उ. ७) थी संयत ५ यंत्रम् (कोष्टक-११३) (१३१) भगवती (श. ७, उ. २, सू. २७३) अल्पबहुत्व (कोष्टक-११४) (१३२) स्थानांगस्थाने दशमे दशविध यतिधर्म (कोष्टक-११५) (१३३) भगवती (श.८, उ. ८) परीषह २२ यंत्रकम् (कोष्टक-११६) (१३४) उत्तराध्ययनके २४ मे अध्ययनात् पांच समिति, तीन गुप्ति स्वरूप (१३५) (कोष्टक-११७)
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