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नवतत्त्वसंग्रहः
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१४५ / उत्तर प्रकृ- | ११७/१०१ / ७४ | ७७/६७/६३ |
तिका १२०
बंध पहिलेमे तीन टली-आहारकद्विक २, तीर्थंकर १, एवं ३. दूजेमे १६ टली-मिथ्यात्व १, हुंड संस्थान १, नपुंसकवेद १, सेवार्त संहनन १, एकेन्द्रिय १, स्थावर १, आतप १, सूक्ष्म १, साधारण १, अपर्याप्त १. विकल ३, नरकत्रिक ३, एवं १६. त्रीजे २७ टली-अनंतानुबंधी ४, स्त्यानधित्रिक ३, दुर्भग १, दुःस्वर १, अनादेय १, संस्थान चार मध्यके, संहनन चार मध्यके, दुर्गमन १, स्त्रीवेद १, नीच गोत्र १, तिर्यंचत्रिक ३, उद्द्योत १, मनुष्य-आयु १, देव-आयु १, एवं २७. चौथेमे तीन मिली-तीर्थंकर १, मनुष्य-देव-आयु २, एवं ३. पांचमे १० टली-अप्रत्याख्यान ४, प्रथम संहनन १, औदारिकद्विक २, मनुष्यत्रिक ३, एवं १०. छठे ४ टली-प्रत्याख्यान ४. सातमे ६ टली-अस्थिर १, अशुभ १, असाता १, अयश १, अरति १, शोक १, एवं ६. दो मिली-आहारकद्विक २ अने जो आयु १ टले तो ५८. आठमेके प्रथम भागमे एवं ५८, दूजे भागमे निद्रा २ दो टले ५६, तीजे भागमे ३० टली-देवद्विक तीर्थंकर १, निर्माण १, सद्गमन १, पंचेन्द्रिय १, तैजस १, कार्मण १, आहारकद्विक २, समचतुरस्र १, वैक्रियद्विक २, वर्णचतुष्क ४, अगुरुलघु १, उपघात १, पराघात १, उच्छ्वास १, त्रस १, बादर १, पर्याप्त १, प्रत्येक १, स्थिर १, शुभ १, सुभग १, सुस्वर १, आदेय १, एवं ३०. नवमेके प्रथम भागमे ४ टली-हास्य १, रति १, भय १, जुगुप्सा १, एवं ४, नवमेके दूजे भागमे पुरुषवेद १, संज्वलनत्रिक ३, एवं ४. दसमे एक संज्वलननो लोभ टल्यो. ग्यारमेमे १६ टली-ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ४, अंतराय ५, यश १, उंच गोत्र १, एवं १६. आगे १ साता बांधे. १४ मे नही... १४६ | उत्तर प्रकृ-| ११७ | १११ | १००/१०४ | ८७ | ८१७६ ७२ ६६ / ६० | ५९ | ५७ | ४२ | १२
तिना उदय
१२२ पहिले ५ टली-आहारकद्विक २, तीर्थंकर १, मिश्र मोहनीय १, सम्यक्त्व-मोहनीय १, एवं ५ टली. दूजे ६ टली-मिथ्यात्व १, आतप १, सूक्ष्म १, अपर्याप्त १, साधारण १, एवं ५, नरकआनुपूर्वी १, एवं ६ टली. तीजेमे १२ टली-अनंतानुबंधी ४, एकेन्द्रिय आदि जाति ४, स्थावर १, आनुपूर्वी ३, एवं १२ अने मिश्रमो १ मिली, चौथे मिश्र मोह १ टली अने ५ मिली-आनुपूर्वी ४, सम्यक्त्व-मोह १, पांचमे १७ टली–अप्रत्याख्यान ४, वैक्रियद्विक २, नरकत्रिक ३, देवत्रिक ३, मनुष्य आनुपूर्वी १, तिर्यगानुपूर्वी १, दुर्भग १, अनादेय १, अयश १, एवं १७. छठे ८ टलीप्रत्याख्यान ४, तिर्यंच-आयु १, तिर्यंच-गति १, उद्द्योत १, नीच गोत्र १, एवं ८ टली अने आहारकद्विक मिले. सातमे ५ टली-स्त्यानद्धित्रिक ३, आहारकद्विक २, एवं ५. आठमे ४ टली