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नवतत्त्वसंग्रहः ८६/ गति ४ मे | ४ | ३ नरक ० मनुष्य देव - →ए वम् - - ० ० मो
| जावे । । विना | देव ८७| भंग सन्नि- १ त्रिक| १ एवम् | १ | तीन | → | ए | वम् →| ३ | ३ | ४| २ |
पातके ६ | छठो | भाषक | २ | २ | १ भा| २ | १ | १ | १ | १-१ | १ १| १ | २ १ अ अभाषक २
भाषक
| एवम् भंग |
पढम
अपढम
चरम
स
अचरम
भव्य
अभव्य
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आयुबंध
| १ | ० ० ० ० ० ० करे ९३] परिणामकी | ६
- →तुल्य| ए व| म् |→ . हान वृद्धि | स्थान ६ स्थान
बंधी बंधति बंधिस्सति १, बंधी बंधति न बंधिस्सति २, बंधी न बंधति बंधिस्सति ३, बंधी न बंधति न बंधिस्सति ४,१ ए चार भंग सर्व कर्म आश्री सर्व गुणस्थानमे विचार लेना. ९४ | ५ कर्म आश्री
भंग चारमे | २ | २ | २| २ | २| २ वेदनीय
१ | १ | १ | आश्री २ | २ | २ | २ मोह आश्री
२ | २ | आयु आश्री १२ १२
३४ ४ ४४|४|४ ९८ स्वलिंग, अन्य
३| ३ | ३ |३| लिंग, गृहिलिंग, ३ द्रव्ये १. जुओ भगवती (श० ८, उ० ८, सू० ३४३)।
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