________________
१९०
नवतत्त्वसंग्रहः स्वजातीया ३, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल, एवं ६. सातमे भय १ वा जुगुप्सा १ वा सम्यक्त्वमोहनीय १ घाले ७. सम्यक्त्वमोह १, भय १ वा सम्यक्त्वमोह १, जुगुप्सा १ वा भय १, जुगुप्सा १ घाले ८, तीनो घाले ९. पांचमे गुणस्थाने प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल २, एवं ५. भय १ वा जुगुप्सा १ वा सम्यक्त्वमोह १ घाले ६, भय १, वा जुगुप्सा १ वा भय १ सम्यक्त्वमोह १ वा जुगुप्सा १ सम्यक्त्वमोह १ घाले ७, तीनो घाले ८. छठे गुणस्थानमे संज्वलन १, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल २, एवं ४. क्षायिक तथा उपशमसम्यक्त्वना धणीने ४ का उदय, भय १, जुगुप्सा १ सम्यक्त्वमोहनीय पीछली तरे घालीये तो ५।६७ का उदय होवे. छठे गुणस्थानवत् सातमा. आठमे नवमेका पहिले लिखाही है. ४८ | मोहके सत्ता- | २८ | २८ | २८ | २८ |२८ | २८।२४ | २८ २८ . . . स्थान १५
| २४ २४ | २१।१३ | २४ | २४ २४ | २३ | २३ | २३ | २३ /२१ | १२।११ | २१ | २१ /
५।४।३२
२०
२७ ।
।
२७ / २४
२२
२२ | २२
।
२२१
|
मोहनीयके सत्तास्थान १५. सर्व सत्ता २८. सम्यक्त्वमोहनीय रहित २७, मिश्र रहित २६. ए छव्वीसनी सत्ता अभव्यने हुइ है. तथा २८ मे चार अनंतानुबंधी क्षये २४ नी सत्ता, मिथ्यात्व क्षये २३ नी सत्ता, मिश्रमोह क्षये २२ नी सत्ता, सम्यक्त्वमोहनीय क्षये २१ नी सत्ता, दूजी, तीजी चौकडी क्षये १३ नी सत्ता, नपुंसकवेद क्षये १२ नी सत्ता, स्त्रीवेद क्षये ११ नी सत्ता, हास्य आदि ६ क्षये ५ नी सत्ता, पुरुषवेद क्षये ४ नी सत्ता, संज्वलनक्रोध क्षये ३, मान क्षये २, माया क्षये १, एवं १५ सत्तास्थान गुणस्थान पर सुगम है.
स्थान १
-
५० | उदयस्थान १ । १ । १ १
१ १ १ १ ११ १
सत्तास्थान १ | १ वा
[१ वा | ए | ए | ए | ए|
वं| वं
.A
ए | ए वं वं
| ए |
वं |
१ | १ | १ ए | ए वं | वं
.
जहां ताइ पर भवनो आयु बांध्या नही तहां ताइ जौनसे आयुका उदय है तिसही की एक सत्ता १, पर भवना आयु बांध्या पीछे दोकी सत्ता. नरकआयु बांध्या छै तो भी ग्यारमा गुणस्थान आ जावे है, इस वास्ते चार आयुमे एक कोइकी सत्ता है. ५२ | नामकर्मके | २३।२५ / २८ | २८ | २९ / २८/ २८ २८ | २८ बंधस्थान ८ २६।२८
२९।३० | ३० ३० ।
०
०
०
।
88
:
:
* *
* *