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________________ १५८ द्वार | भेद नवतत्त्वसंग्रहः (७५) (पर्याप्ति अपर्याप्ति षट्क) पर्याप्ति षट् ६ अपर्याप्ति षट् ६ प्रारंभ- समाप्ति प्रारंभ- | समाप्तिसर्व पर्याप्ति | अनुक्रमसे पूरी |सर्व एक साथ | अनुक्रमसे पूरी साथ मांडे ___ करे -४ साथ मांडे | ३ पूरी करे ४ साथ मांडे | ४ अनुक्रमे पूरी करे ५ साथ मांडे | ४ अनुक्रमे पूरी मांडे . लब्धि अपर्याप्त पर्याप्त एकेन्द्रिय लब्धि अपर्याप्त करे बेइंद्री, | तेइंद्री, चौरिंद्री, असंज्ञी लब्धि पर्याप्त | ५ साथ मांडे | ३/४/५ अनुक्रमे पूरी करे पंचेंद्री पूरी करे ___पूरी करे गर्भज करण अपर्याप्त | ६ साथ मांडे | ३।४।५ अनुक्रमे मनुष्य गर्भज करण पर्याप्त ६ साथ मांडे । ६ अनुक्रमे तिर्यंच पूरी करे पंचेंद्री नैरयिक १ | करण अपर्याप्त | ६ साथ मांडे | ५ अनुक्रमे देवता करण पर्याप्त ६ साथ मांडे | ६ पूरी करे। (७६) पर्याप्तिके सर्व कालकी अल्पबहुत्व आहार पर्याप्ति १] शरीर पर्याप्ति २] इन्द्रिय पर्याप्ति ३ | श्वासोच्छ्- | भाषा पर्याप्ति ५ | मन पर्याप्ति ६ वास पर्याप्ति ४ १ स्तोक २ असंख्य | ३ विशेष अधिक | ४ विशेष -. १ स्तोक २ असंख्य | ३ विशेष अधिक ४ विशेष १ स्तोक २ असंख्य । | ३ विशेष अधिक | ४ वि. काल करे | ५ वि.काल करे १स्तोक | २ असंख्य | ३ विशेष अधिक | ४ वि. काल करे | ५ वि.काल करे १ स्तोक | २ असंख्य | ३ विशेष अधिक ४ वि. ५ विशेष ६ किञ्चित् न्यून १ स्तोक २ असंख्य ३ विशेष अधिक ४ वि. ५ विशेष ६ विशेष अधिक १ स्तोक २ असंख्य | ३ विशेष अधिक ४ वि. ५ विशेष ६ अधूरी ते किञ्चित् न्यून १स्तोक । २ असंख्य | ३ विशेष अधिक ५ विशेष ६ तुल्यम् - | ० ० ० ० ४वि.
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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