________________
८४
नवतत्त्वसंग्रहः सम्यक्त्वे १ वाद मिश्रे २ वाद| मिथ्यात्वे ३ वाद |
ओघिके ४ वाद वैमानिक ३५ सम्यग्दृष्टि १ . | सम्यग्- | कृष्णपक्षी आदि | ए २७ माहिथी कृष्ण आदि ३
ज्ञानी २ मति मिथ्यादृष्टि | उपरला छ बोल लेश्या नपुंसकवेद ५, ए ४ ज्ञानादि ३,
--वरजी शेष २३ एवं बोल ५. जोतिष | ३३/
ए २७ माहिथी कृष्ण आदि ३
लेश्या पद्म ४ शुक्ल लेश्या ५
नपुंसकवेद ६, ए ६ वरजी शेष २१ वाद | 0 | एक क्रियावादी अज्ञानवादी | अक्रिया १ अज्ञान | क्रिया १ अक्रिया २ अज्ञान ३ लाभे १ |विनयवादी | २ विनय ३ वाद |
विनयवादी ४ आयुबंध | ___ मनुष्य तिर्यंच | आयु नही मनुष्य तिर्यंच | क्रियावादी मनुष्य तिर्यंच कृष्ण
क्रियावादी आयु | बांधे आयु चारों आदि तीन ३ संक्लिष्ट लेश्यामे आयु बांधे एक वैमानिकना
गतिका बांधे, | न बांधे, शेष बोलमे वर्तता आयु जीव मनुष्यमे अलेशी
देवता, नारकी | बांधे वैमानिकना, शेष ३ समव१ केवली २ अवेदी
मनुष्य तिर्यंचना| सरण च्यारों गतिका, देवता नारकी ३ अकषायी ४
आयु बांधे | क्रियावादी मनुष्य-आयु बांधे, शेष अयोगी ५ एवं पांच
समवसरण मनुष्य तिर्यंचना, एकेंद्री बोलमे आयु न बांधे,
विकलेंद्रीमे समवसरण २ अक्रिया देव नारकी क्रिया
१ अज्ञान २, विकलेंद्रीमे सज्ञानी वादी आयु बांधे
मति श्रुतज्ञानी आयु न बांधे. अनेरो मनुष्यना
एकेंद्रीमे तेजोलेश्यामे आयु न बांधे, ___ शेष बोलमे आयु बांधे मनुष्य, तिर्यंचना, तेउ, वायु, तिर्यंचना आयु
बांधे ।। क्रियावादी १ मिश्रदृष्टी २ शुक्लपक्षी ३ ए निश्चय भव्य, शेषमे भजना । इति प्रथमोद्देशक: अनतरोव० १ अनंतो गाढा २ अनतरो
आहार ३ अनंतर पज्जत्तगा ४. एहमे आयु २४ दंडके न बांधे. बोल जौनसे नही पावे अलेश्यादि १२ सो जान लेने और सर्व प्रथम उद्देशवत्.
अचरममे अलेशी १ केवली २ अयोगी नही और सर्व उद्देशा प्रथम
वत् ज्ञेयं. द्वारगाथा-"जीवा १ य लेस्स २ पक्खिय ३ दिट्ठी ४ अन्नाण
५ नाण ६ सन्नाओ ७ । वेय ८ कसाय ९ उवओग १० जोग ११ एक्कारस वि ठाणा ।"
(भग० सू० ९७५)