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नवतत्त्वसंग्रहः (२९) चरम अचरम यंत्र भगवती श० १८, उ० १, सू० ७२४
आहार २ संज्ञी ७ असंज्ञी ८ अणा- | भ | अ | नोभव- | नोसन्नी | अकभा सलेशी १० यावत् शुक्ल लेशी १६/ हारी ३ | व | भ | सिद्धिक ५ (नोसंज्ञी)/ षायी
मिथ्यादृष्टि १९ मिश्रदृष्टि २० । सम्य- | सि । व | नोअभव- नोअ- ३० संयत २१ असंयत २२ संयता- | ग्दृष्टि १८| द्धि सि | सिद्धिक ६ | संज्ञी ९ | अवेदी संयत-श्रावक २३ सकषायि २५ / संज्ञानी | क द्धि | नोसंयत | अलेशी | ५२ यावत् लोभकषायि २९ मतिज्ञानी | ३१ । ४ | नोअसंयत | १७ ३२ यावत् मनःपर्यवज्ञानी ३५ | साकारो
नोसंयता- | केवलअज्ञानी यावत् विभंगज्ञानी ४० | पयुक्त
संयत २४ ज्ञानी सयोगी ४१ यावत् कायायोगी ४४|४६ अना
अशरीरी
| ३६ सवेदी ४८ यावत् नपुंसकवेदी | कारोप
अयोगी ५१ सशरीरी ५३ यावत् कार्मण- | युक्त ४७| शरीरी ५८ पांच पर्याप्ती ६४
पांच अपर्याप्ती ६९५२ जीवा- चरम चरम अचरम
अचरम | चरम अच- अचरम | अचरम | अचरम नाम् २४ । चरम चरम अचरम
चरम | चरम | अच- ० । चरम | चरम दंडके अच
अचरम अच- रम
अचरम
२
रम
रम
सिद्धा- अच
अचरम | ० । ० | अचरम | अचरम | अचरम नाम्
(३०) 'पढम अपढम यंत्रम् भगवती श० १८, उ० १, सू० ७२२
आहारक २ भव्य २४ अणाहारी ३ | सम्यग् | नोभव- | नोसंज्ञी | अ-| मिश्रदृष्टि अभव्य ५ संज्ञी ७ असंज्ञी८ साकारोप- | दृष्टि १८] सिद्धिया | नोअ- | क- २० सलेशी १० यावत् शुक्ललेशी | युक्त ४६ सज्ञानी | (क)नो | संज्ञी | षा-| संयत २१ १६ मिथ्यादृष्टि १९ असंयत २२ | अनाकारो
२३ । | अभव
संयतासकषायी २४ यावत् लोभ- |पयुक्त ४७ आहारक सिद्धिक | अलेशी ३० संयत कषायी २९ अज्ञानी ३७ यावत्
शरीर | नोसंयत | १७ | अ विभंगज्ञानी ४० सयोगी ४१ यावत्
| नोअसं- | केवल-| वे | मति० ३२ कायायोगी ४४ सवेदी ४८ यावत्
यत | ज्ञानी । दी। यावत् नपुंसकवेदी ५१ सशरीरी ५३ औदा
नोसं- ३६ ५२ मनःपर्यवरिक ५४ वैक्रिय ५५ तैजस
यतासं- | अयोगी ज्ञानी ३५ ५६ कार्मण ५८
यत २४
आहारक पांच पर्याप्ती ६४ पांच
अशरीरी
शरीर अपर्याप्ती ६९
२३
५७
५६
४६
१. आनुं लक्षण भगवती (सू० ६१६)नी निम्नलिखित गाथामां नजरे पडे छे :"जो जेण पत्तपुव्वो भावो सो तेण अपढमो होइ । सेसेसु होइ पढमो अपत्तपुव्वेसु भावेसु ॥"