________________
ਖ यावर हिंति अन्तरकु श्रीने वारे तेवर में के ऊंडे चरिंदिर तहाँ सूएं भायेय।। मनुषतेच प्रचक्ष मदनी केवल एगार दर्श मफाराम देस लो। निबे बाकीपनररुंमकने वा श्लेत्र एवं 'एप' वे कहां ॥१॥ ॥
मेसेतुं तिर्गतिगंभ लिनं ।নर ११॥ प्यारे अज्ञान ज्ञान इत्येकेंत्रमंत्रय' ਭੰਗ॥
देवता मां तिर्यमा नार की भी हो यथावरे ਸਂ ਸਂ सुरविरिनिरए घरैचनालं ज्ञान' प्रज्ञान देदे 'विगतें'त्रमं नानादिगले ग अनुषमां पांचज्ञानंत्रज्ञान१२