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कारणमाटेहता यामाने
तासंबई संपते॥ ||मनुष्यणुतमोऽसयथार्थ प्रतिवनेश।
मपुत्र'लहयसमले। अाचाररूपातमासहीतशतिमूरिउत्तम
सिरसंतिसूर सिहा कहे। करेहेसमजावोन्यामधर्मनेवाले
करेहभोनका धम्मेl पुर्वक होतेजादनौजेवापार | एसोजावदिया। अल्पमात्राचीनताप्रतिवंततेजोगक
संतकतामहिका नहेते ||सपनामात्य
संखिोर महागतारतत्ररूपसमयका यह
रुदानसमुदाय
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Mammta