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एक सरीरमा 'एकज' एगं सरीरे एगो
जीवजे बेंच 'समुच्चय'तेज' प्रत्येक वनस्प जीवो जे सिंचतेय' ले ॥ स फलेनो फुले नो बोलि तो लोकमानो' ਬੂਰਿਗੋਕੇ मूलेनोपनमानो बानों एव
मूलग एलागि' दीयाँ लि॥१३॥
प्रत्येक'ने मुकीनें' एज्ञेय'तरु' मुनं ॥
पांच से देंश्य विद्ये समस्त लो कें' पंचविदा इलो' सरल लोल
सुदन 'होय' नीचे तेनु'
सहमा' हवेति नियमा ॥
प्रतऊर्ता चाच
तमुऊन्सान दिस्सा १४|
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