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महोपाध्याय श्री विनय विजयजी विरचित
शान्त सुधारस
(हिन्दी-विवेचन)
भाग : द्वितीय
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विवेचनकार जिनशासन के महान् ज्योतिर्धर सुविशाल गच्छाधिपति प्राचार्मदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के तेजस्वी शिष्यरत्न अध्यात्मयोगी पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकर विजयजी .
गरिणवयंधी के चरम शिष्यरत्न
मुनिश्रीरत्नसेन विजयजी
ज
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