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________________ पाराम में डूबे हुए हैं, ऐसे व्यक्तियों का तुम मार्गदर्शन ले रहे हो? क्या उन व्यक्तियों का मार्गदर्शन तुम्हें उन्नति के शिखर तक पहुंचा सकता है ? वे तो स्वयं डूबे हुए हैं और उनका अनुसरण करोगे तो तुम भी डूब जानोगे। - दुनिया में ऐसे अनेक कुमत हैं, जिनकी प्ररूपणा मोक्ष-मार्ग से सर्वथा विपरीत है। कोई मात्र ज्ञान से मुक्ति मानते हैं तो कोई मात्र क्रिया से। कोई कायकष्ट से मुक्ति मान रहे हैं तो कोई मात्र वैराग्य से। कोई इच्छाओं की पूर्ति में ही आनन्द मानता है तो कोई मात्र ध्यान में आनन्द मानता है । इस प्रकार इस दुनिया में अनेक कुमत हैं और उनके प्रणेता मोह से ग्रस्त हैं। ऐसे कुमत प्ररूपकों से आत्मकल्याण के लिए मार्गदर्शन की इच्छा करना आत्मवञ्चना ही है। 'थोथा चना बाजे घणा' के नियमानुसार उन कुमत-प्ररूपकों का आडम्बर भी अत्यधिक होता है। अतः भोली-भाली प्रजा उनके चगुल में फंस जाती है। सर्वात्मानों के हितचिन्तक पूज्य उपाध्याय जी म. हमें जागृत कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हे भव्यात्माओ! तुम उन कुमत प्ररूपकों का त्याग करो और सद्गुरु का आश्रय कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर प्रात्मकल्याण के पथ पर आगे बढ़ो। अनिरुद्धं मन एव जनानां , जनयति विविधातङ्कम् । सपवि सुखानि तदेव विधत्ते , आत्माराममशङ्क रे ॥ सुजना० २१३ ॥ शान्त सुधारस विवेचन-२०८
SR No.022306
Book TitleShant Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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