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________________ स्कन्दिलाचार्य ने सबको समत्व धर्म का उपदेश दिया। उनके उपदेश से भावित बने सभी शिष्य सर्व घाती-प्रघाती कर्मों से मुक्त बनकर मुक्ति में चले गए""और स्कन्दिलाचार्य ? उनके हृदय में पालक के प्रति वैर/क्रोध की भावना जाग उठी और उन्होंने अपने संसार की अभिवृद्धि कर ली। किसी भी जीव के प्रति किए हुए क्रोध का विपाक अत्यन्त भयंकर होता है। एक बार एक स्त्री अपनी पड़ोसी स्त्री से भयंकर झगड़ा करके अपने घर पाई। घर आकर उसने अपने बच्चे को स्तनपान कराया। थोड़ी ही देर में बच्चा मर गया। डॉक्टर ने पाकर बच्चे के शरीर की जाँच की। अन्त में उसने कहा'अत्यन्त क्रोध के कारण उस बच्चे की माँ का दूध जहरीला हो गया और उस स्तनपान से ही बच्चे की मृत्यु हुई है।' अपने इहलौकिक और पारलौकिक जीवन पर क्रोध का अत्यधिक असर होता है। क्रोधी व्यक्ति सभी का अप्रिय बन जाता है। कोई भी व्यक्ति उसके साथ व्यवहार करने में हिचकिचाता है। क्रोधयुक्त अवस्था में मृत्यु होने पर आत्मा की दुर्गति ही होती है। इस प्रकार किसी भी जीव के प्रति वैरभाव रखना अत्यन्त अहितकर है। अतः हे आत्मन् ! तू किसी भी जीवात्मा के प्रति वैर भाव धारण मत कर, क्योंकि तेरा यह जीवन तो शान्त सुधारस विवेचन-१२०
SR No.022306
Book TitleShant Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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