SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्टपाहुडमें सूत्रपाहुडकी भाषावचनिका। ४९ याके पद एक सौ आठ कोडि अडसठि लाख छप्पनहजार पांच पद हैं। या बारमा अंगका पांच अधिकार हैं;-परिकर्म १ सूत्र २ प्रथमानुयोग ३ पूर्वगत ४ चूलिका ५ ऐसैं । तहां परिकर्मवि गणितके करण सूत्र हैं ताके पांच भेद हैं;-तहां चन्द्रप्रज्ञप्ति प्रथम है तामैं चन्द्रमाका गमनादिक परिवार वृद्धि हानि ग्रह आदिका वर्णन है याके पद छत्तीस लाख पांच हजार हैं । बहुरि दूजा सूर्यप्रज्ञप्ति है यामैं सूर्यकी ऋद्धि परिवार गमन आदिका वर्णन है याके पद पांच लाख तीन हजार हैं। बहुरि तीजा जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है यामैं जंबूद्वीपसंबंधी मेरु गिरि क्षेत्र कुलाचल आदिका वर्णन है याकै पद तीन लाख पचीस हजार है । बहुरि चौथा द्वीपसागरप्रज्ञप्ति है यामैं द्वीपसागरका स्वरूप तथा तहां तिष्ठे ज्योतिषी व्यंतर भवनवासी देवनिके आवास तथा तहां तिष्ठै जिनमंदिरनिका वर्णन है याके पद बावन लाख छत्तीस हजार हैं । बहुरि पांचमां व्याख्याप्रज्ञप्ति है याविषै जीव अजीव पदार्थनिका प्रमाणका वर्णन है याके पद चौरासी लाख छत्तीस हजार हैं। ऐसैं परिकर्मके पांच भेदनिके पद जोड़े एक कोडि इक्यासी लाख पांच हजार हैं। बहुरि बारमा अंगका दूजा भेद सूत्र नाम है ताविर्षे मिथ्यादर्शनसंबंधी तीनसै तरेसठि कुवाद हैं तिनिकी पूर्वपक्ष लेकरि तिनिका जीव पदार्थपरि लगावनां आदि वर्णन है याके भेद अठ्यासी लाख हैं । बहुरि बारमां अंगका तीजा भेद प्रथमानुयोग है या विर्षे प्रथम जीवकू उपदेशयोग्य तीर्थकर आदि तरेसठि शलाका पुरुषनिका वर्णन है याके पद पांच हजार हैं । बहुरि बारमां अंगका चौथा भेद पूर्वगत है, ताके चौदह भेद हैं तहां प्रथम उत्पाद नामा है ताविर्षे जीव आदि वस्तुनिकै उत्पाद व्यय ध्रौव्य आदि अनेक धर्मनिकी अपेक्षा भेद वर्णन है याके पद एक कोडि हैं । बहुरि दूजा अग्रायणीनाम पूर्व है याविर्षे सातसै सुनय दुर्नयका अर षद्रव्य अ. व०४
SR No.022304
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychandra Chhavda
PublisherAnantkirti Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy