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श्री संवेगरंगशाला यदि दो आँखों को बन्द कर और सिकोड़कर सो जाता है तो रोगी को यमपुरी में ले जाता है। बिमार के घर ऊपर यदि कौओं का समूह तीनों संध्या में मिलते देखे तो जानना कि अब जीव का विनाश होने वाला है। जिसके शयन घर में अथवा रसोईघर में कौआ, चमड़ा, रस्सी, बाल या हड्डी डाले वह भी शीघ्र मरने वाला है।
३. उपश्रुति (शब्द श्रवण) द्वार :-अब यहाँ से दोष रहित उपश्रुति द्वार को कहते हैं। इसमें प्रशस्त दिन मनुष्यों का सोने का समय हो तब गुरू परम्परा के आए हुए और आचार्य सहित गच्छ के मन को आनन्द उत्पन्न कराने वाले सूरि मन्त्र द्वारा आचार्य उपयोगपूर्वक दो कान को मन्त्रित कर अथवा पंच नमस्कार द्वारा भी देव, गुरू को नमस्कार करके, सुगन्धी, अक्षत हाथ में लेकर, श्वेत वस्त्र का उत्तरासंग धारण करके आयुष्य के प्रमाण को जानने का निश्चय करके, एकाग्र चित्त वाला वह अपने दोनों कान के छिद्र बन्द करके अपने स्थान से निकलकर, प्रशस्त उत्तर-ईशान दिशा सन्मुख क्रम से अथवा पैरों का चलना देखकर चण्डाल वेश्या अथवा वेश्य या शिल्पकार आदि के मौहल्ले में, चौक या बाजार आदि प्रदेशों में सुगन्ध से मनोहर अक्षतों को फेंककर उसके बाद उपश्रुति, अर्थात् जो सुनने में आए उस शब्द को सम्यक् रूप धारण करे । वह शब्द दो प्रकार के होते हैं । प्रथम अन्य पदार्थ का व्यपदेश वाला और दूसरा उसी का ही स्वरूप वाला होता है। उसमें प्रथम चिंतन द्वारा समझा जाये और दूसरा स्पष्ट अर्थ को बताने वाला होता है। जैसे कि इस घर का स्तम्भ इतने दिनों में या अमुक पखवाड़ों के बाद, अमुक महीने के बाद या अमुक वर्ष में निश्चय ही टूट जायेगा अथवा नहीं टूटेगा, अथवा असुन्दर होगा, या टकराने से यह शीघ्र टूट जायेगा इत्यादि । अथवा तो यह दीपक दीर्घकाल रहेगा या टकराने से शीघ्र नाश होगा। इस तरह पदार्थ के विषय में शब्द सुनकर उस पुरुष को अपनी आयुष्य का अनुमान लगा लेना चाहिये । तथा पिठिका, दीपक की शिखा, लकड़ी का पात्री आदि स्त्रीलिंग पदार्थों के विषय में शब्द, स्त्री के आयुष्य का लाभ, हानिकारण अनुमान लगाना इत्यादि अन्य पदार्थ का व्यपदेश वाला उपश्रुति शब्द समझना। तथा यह पुरुष अथवा स्त्री इस स्थान से नहीं जायेगी अथवा हम उसे जाने नहीं देंगे, यह व्यक्ति भी, जाना भी नहीं चाहता, अथवा तो दो, तीन, चार दिन में या उसके बाद इतने दिन, पखवाड़े, महीने या वर्ष के बाद अथवा उसके पहले जायेगा या नहीं जायेगा इत्यादि, अथवा तो यह पुरुष आज ही गमन करेगा, या इसे महाआदरपूर्वक बार-बार रोकने पर भी जल्दी जायेगा, नहीं रुकेगा । आज