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श्री संवेगरंगशाला
फिर बाजे बजते महान मंगल शब्दों युक्त जहाज को चलाया, और घबराने से चारों दिशा में भ्रान्तियुक्त, आँखों वाला ताराचन्द्र जागा- यह क्या है ? कौन-सा देश है ? मैं कहाँ पर हूँ ? अथवा यहाँ मेरा सहायक कौन है ? ऐसा विचार करते जब देखता है तब उसने महासमुद्र को देखा, और धनुष्य से छटा हुआ अत्यन्त वेग वाले बाण के समान अतीव वेग से जाते और चढ़ा हुआ उज्जवल पाल वाले जहाज को भी देखा, इससे विस्मित मन वाला वह विचार करने लगा कि-परछाई की क्रीड़ा समान अथवा इन्द्र जाल के समान नहीं समझ में आए यह मेरा कौन-सा संकट आया है ? अथवा तो सोच समझ भी नहीं सकते हैं, कहा भी नहीं जा सकता और पुरुष प्रयत्न जहाँ निष्फल होता है ऐसा अघटित को भी घटित करने की रूचि वाला मेरे दुर्भाग्य का यह भी कोई दुष्फल है। तो अब जो कुछ होता है वह होने दो! इस विषय में निष्फल चिन्तन करने से क्या लाभ है ? ऐसा सोचकर फिर उस पलंग पर निश्चित रूप में सो गया। फिर जब सूर्य उदय हुआ तब उठा, 'यह अक्का का प्रपंच है' ऐसा जानकर अति प्रसन्न मुख कमल वाला वह जब शय्या से उठा, तब बहुत काल से गाढ स्नेह वाला जहाज का मालिक अपने बालमित्र कुरुचन्द्र को उसने देखकर तुरन्त पहचान लिया। इससे संभ्रमपूर्वक गाढ आलिंगन कर आदरपूर्वक उसने ताराचन्द्र को हे मित्र ! तेरा यहाँ यह आश्चर्य भूत आगमन कहाँ से हुआ है ? अथवा श्रावस्ति से निकलकर इतना समय तूने कहाँ व्यतीत किया ? और वर्तमान में तू पुन: निरोगी अंग वाला किस तरह हुआ ? उसके पश्चात् ताराचन्द्र ने नगर में से निकलकर प्रातःकाल में जागा वहाँ तक का अपना सारा वृत्तान्त उसे कहा । कुरुचन्द्र ने भी वेश्या की माता का सारा व्यतिकर दुःख ताराचन्द्र को कहा । इसका उसका प्रपंच जानकर ताराचन्द्र ने मन में विचार किया कि-बोलती है अन्य और करती है अन्य, स्नेह रहित फिर भी कपट स्नेह से अन्य को देखती है और राग दूसरे के प्रति करती है । ऐसी स्त्रियों के चरित्र को धिक्कार हो । भौंरा जैसे मद के लोभ से हाथी के गंड स्थल को चूसना, वैसे धन के लोभ से जो चण्डाल के गाल को भी चुमन करती हैं. उन युवतियों का इस संसार में क्या निन्दनीय कार्य है ? अथवा पर्वत के शिखर से गिरती नदी के तरंग समान चंचल चित्त वाली कपट का घर स्त्रियों का स्वभाव निश्चय ऐसा ही होता है । ऐसा विचार कर उसने कहा-हे कुरुचन्द्र ! अपना वृत्तान्त कह, तू यहाँ क्यों आया ? और इसके बाद कहाँ जायेगा? एवम् पिताजी की स्थिति में क्या है ? सारे राज्य कर्मचारियों की भी कुशलता कैसी है ? और गाँव, नगर, देश सहित श्रावस्ती भी