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________________ गाथार्थ :- नवकार में अडसठ अक्षर नौ पद, और आठ संपदाएँ है। उसमें सात संपदाएँ पद की तरह की है। और आठवीं सतरह अक्षरों की और दो पदों की है। "नौ अक्षर की आठवी और दो पदवाली छट्ठी (संपदा) इस प्रकार अन्य आचार्य कहते है । विशेषार्थ :- नवकार में पाँच पदों के ७-५-७-७-९ मिलके ३५ अक्षर है । प्रत्येक पद की एक एक संपदा गिनते पाँच संपदा और चूलिका श्लोक के चार पद तथा ३३ अक्षर है । उसमें अंतिम दो पदों की एक संपदा गिनना । इस प्रकार ९पद और संपदाएँ आठ । नवकार सूत्र की उपधान क्रिया में ८ संपदाओं को पढने के लिए प्रत्येक संपदा का एक एक . आयंबिल करके पढ़ सकते है । ये उत्सर्ग विधि है ॥ ३० ॥ कितनेक आचार्य "नववखरडमी दुपय छडी” अर्थात् ८ वी संपदा “पढमं हवइ मंगलं " इन ९ अक्षरों की और छडी "एसो पंच० से पावप्पणासणो" तक की १६ अक्षर की है, इस प्रकार कहते है । इच्छामि खमासमण और इरियावहिया में पणिवाय अवखराइं अट्ठावीसं तहा य इरियाए । नव-नउयमवखरसयं दु-तीस -पय संपया अड ॥३१॥ (अन्वय :- पणिवाय अवखराइं अट्ठावीसं तहा य इरियाए नव-नउयमक्खरसयं -पय अट्ठ संपया ) ॥३१॥ दु-तीस = = शब्दार्थ : पणिवाय प्रणिपात, इच्छामिखमासमण वंदना सूत्र, अक्खराई = अक्षर, अट्ठावीस = अट्ठावीस, इरियाए - इरियावहिया सूत्र में, नव-न उयम् = निन्याणु, अक्खर सयं एक सौ अक्षर, दु-तीस -पय बत्तीस पद, संपया अट्ठ= आठ संपदा । = गाथार्थ :- प्रणिपात सूत्र में अट्ठावीस अक्षर है। और इरियावहिया में एकसो निन्या अक्षर बत्तीस पद और आठ संपदाएँ है । विशेषार्थ :- इरियावहिया सूत्र तस्स उत्तरी सहित गिना जाता हैं इसलिए इच्छामि पक्किमिउं से निग्धायणद्वाए ठामि काउस्सग्गं तक के वर्ण, पद और संपदाएँ गिनना । कितनेक आचार्य तस्स मिच्छामि ढुक्कडं तक ही १५० अक्षर गिनते है । खमासमण - सूत्र की संपदा और पद की गिनती नही देने का २९ वी गाथा के अर्थ में ही बता दी गई है ॥३१॥ 31
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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