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________________ ३६ अध्यात्म-कल्पद्रुम डालने चाहिए जहां जन्तु न पहुंच पावें, उन्हें राख से या मिट्टी से ढांक दें या जला दें या एकांत घास में डाल दें जहां जीवों के मारे जाने की संभावना न हो । यही करुणा भावना है। सबसे ज्यादा करुणा के पात्र वे हैं जो आधुनिक भौतिक शिक्षा सम्पन्न, आत्मा परमात्मा को नहीं मानने वाले मौज शोक करने वाले बाबू लोग हैं या साधुता के बाने से अपने आपको ढककर शब्द जाल से भोले जीवों को उन्मार्ग में ले जाने वाले बाबा लोग हैं तथा जो धनी हैं या पदाधिकारी हैं । धन का भूत उन्हें आत्मा की तरफ देखने नहीं देता है वे अपने हाल में मस्त होकर या औहदे के नशे में बे परवाह हो रहे हैं। उनको आत्ममार्ग बताने वाला मनुष्य सच्चा करुणा का अवतार है । वे किसी का उपदेश सुनना नहीं चाहते, सत्शास्त्रों का अभ्यास करना नहीं चाहते, सत्संग से दूर रहते हैं फिर उनमें जीवों पर करुणा करने की भावना कैसे पैदा हो सकती है ? अतः वे सबसे अधिक करुणा के पात्र हैं। जब जब भी अवसर मिले उन तक सद्विचार पहुंचाने चाहिएं-बातचीत कर उन्हें संत समागम या सत्शास्त्रों की तरफ प्रेरित करना चाहिए। उनमें दीनदुःखी पर करुणा करने की भावना पैदा करना चाहिए। उनके धन का सदुपयोग कराना भी करुणा भावना है। यह उत्कृष्ट श्रेणी की करुणा है । अभय दान देना अर्थात् किसी को मरने से बचाना, उसे निर्भय करना यह करुणा भावना है। प्रत्येक मनुष्य में सद्बुद्धि पैदा कर उसे धर्म में लगा कर उसका कल्याण करना भी करुणा भावना है।
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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