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अध्यात्म-कल्पद्रुम सहपाठी व गुरूपुत्र, पर्वत के बचाव के लिए अपने दूसरे सहपाठी नारद के समक्ष जानते हुए भी "अज" शब्द का अर्थ शालि (छिलके सहित चावल-साल) के बजाय "बकरा" कहता है, इतने मात्र से देव उसको सिंहासन से नीचे डाल देते हैं और वह तुरत मरकर नरक में जाता है, अतः सत्य बोलना, संपूर्ण सत्य बोलना और सत्य के अतिरिक्त कुछ न बोलना उत्तम है।
दुर्वचन के भयंकर परिणाम
इहामुत्र च वैराय, दुर्वाचो नरकाय च । अग्निदग्धाः प्ररोहन्ति, दुर्वाग्दग्धाः पुनर्न हि ॥ ८ ॥
अर्थ दुष्ट वचन, इस लोक में वैर कराते हैं और परलोक में नरक देते हैं । अग्नि से जले हुए तो पुनः अंकुरित हो जाते हैं परन्तु दुर्वचन से जले हुए पुनः स्नेहांकुरित नहीं होते ॥ ८॥
अनुष्टुप
विवेचन दुर्वचन, कटुभाषन, एवं मर्मान्तक वचन से इस लोक में पारस्परिक वैर बढ़ता है और मरने के बाद नरक की प्राप्ति होती है। प्रायः अपने स्वजन (भाई, बहिन, पिता, माता, पत्नि व पुत्र आदि) के साथ रहते हुए या सांसारिक प्रशंग आने पर व्यवहार चलाने के लिए या विवाह आदि प्रसंग के अवसर पर सबके एकत्रित होने पर या गृहस्थी के बटवारा पर भाई भाई में या अन्य कारण से