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अध्यात्म-कल्पद्रुम
वास्तविक ज्ञान न होने पर होता है। तीसरा ज्ञानभित तीसरे प्रकार के वैराग्य से ही भव भ्रमण मिटता है व अनंत सुखरूप मोक्ष प्राप्त होता है । यह निश्चित है कि हम यहां से जायेंगे जरूर और स्वकर्म भी जरूर भुगतना पड़ेगा तो फिर सद्कर्म द्वारा सद्गति में जाना ही सर्वश्रेष्ठ है।
इति दशमः वैराग्योपदेशाधिकारः