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दादावाड़ी जैन मन्दिर-बहुत ही विशाल व रमणीय स्थान में यह मन्दिर है । मोतीशाह सेठ ने बहुत ही दूरदर्शिता से इस स्थान को अपनाया था। कम्पाऊंड के बीच में सुन्दर मन्दिर व कुवा है । यहां प्रकृति देवी की कृपा है। स्थान देख कर मैंने श्री पुखराजजी (जेठमलजी सुकनराजजी वाले) से यह भावना प्रगट की थी कि क्या ही अच्छा हो आपके शहर के अन्दर चलता हुवा जैन स्कूल यहां आकर गुरुकुल के रूप में व्यवस्थित हो जाय और भावी महापुरुषों का निर्माण करे ।
- पोडल रेड् हिल्स -- यह प्राचीन मद्रास की राजधानी थी। ६ मील लंबे तालाब के पास ही एक नीची पहाड़ी का सिलसला है। जमीन लाल है। यहां कई प्राचीन स्मारक नजर आते ह । कुछ बंगले भी बने हुए हैं। श्री जैन मन्दिर ही इस क्षेत्र का मुख्य आकर्षण है। २००० वर्ष पूर्व पल्लव राजाओं द्वारा इसका निर्माण हुवा था। मूलनायकजी यादवों के समय के हैं। भूमिदान के शिलालेख १२-१३ वीं शताब्दी के उपलब्ध हैं। मन्दिर बड़ा ही रमणीय है। अंदर धर्मशाला भी बनी हुई है। अभी २ श्री रिखबदासजी द्वारा एक गुरुकुल की शुरुआत हुई है जिसका मूल उद्देश्य जैन संस्कृति का संरक्षण है उनकी भावना ऐसे गुरुकुल अन्यत्र भी खोलने की है। जुलाई के द्वितीय सप्ताह में मैं वहाँ गया था तब श्री नवकार । महामंत्र के नौलाख जापों का अनुष्ठान वहां चल रहा था। १७ तपस्वी इस धर्मयज्ञ में सम्मलित थे और भी आने वाले थे। इस तरह से वह स्थान बड़ा शांत, पवित्र व आत्मार्थी के