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________________ शतपदी भाषांतर. ( ५९ ) महर्षिना तपना महिमाथी, तथा जन्मांतरना स्नेहथी देवताओ इहां आवे छे. त्यां पण एम जाणवानुं छे के जे दिवसोमां जिनना कल्याणिक वर्तमान होय ते दिने आवे; बाकी कंइ प्रतिवर्ष ते दिने आवे एम नथी. कारण के जो प्रतिवर्षे पांचे जिनकल्याणिकना दिने देवताओए अवश्य महिमा करवा आवq एवो नियम होय तो ज्यारे समकाळे एकशो शित्तेर तीर्थकरो वर्त्तता होय त्यारे देवताओए शुं मनुष्य लोकमांज रहेवू के दररोज आवजाव करवी? वळी च्यवन कल्याणिकमां तो मूल दिने पण आववानो कंड नियम जणातो नथी. कारण के ऋषभदेवस्वामिना च्यवन कल्याणिकमां इंद्रो आव्या हता अने वीरस्वामिना च्यवन कल्याणिकमां इंद्रो नथी आव्या ए प्रसिद्ध वात छे. वळी उपदेशमाळामां पण श्रावकना वर्णनमां जिननी जन्म भूमि, दीक्षाभूमि, ज्ञानभूमि तथा निर्वाणभूमिओ वांदवी लखी छे पण कंइ दर वर्षे ए दिवसो आराधवाना नथी लख्या. __वळी जो कल्याणिकना दिनो पर्वरूपे गणवाना होत तो जेम आठम पांखी वगेरादिने चउथ वगेरा तप करवानुं अने ते नहि करे तो प्रायश्चित्त लागवानुं शास्त्रमा लखवामां आवेल छ तेम कल्याणिकदिनो माटे पण लखवामां आवत, पण तेम तो क्यां पण लख्युं नथी. माटे कल्याणिकदिन पर्वरूपे नथी जणाता. वळी जन्मकल्याणिकना दिने आजकाल जेम धुंसरी, मोर, औषधिओ, मोदक, मंगळकळश, तथा नाळ वगेरा जन्मसूचक चिह्नोनी नकल करवामां आवे छे तेम दीक्षा ज्ञान अने निर्वाणना दिने ते ते दिवसने योग्य वस्तुओनी पण नकल करवी पडशे, अने तेम करवू तो कंइ घटारत नथी. एथी एम जणाय छ के एकल्याणिकदिनोनी कल्पना पूर्वश्रुतधरकृत नथी.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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