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लघुशतपदी. लघुशतपदी.
(प्रस्तावना.) परमार्हत कुमारपाळ राजाए नमेला, कळिकाल सर्वज्ञ, प्रभु, श्री हेमाचार्य अंचळगच्छने विधिपक्ष नाम आप्यु.
वळी सिद्धांतपणीत समाचारी अने शुद्ध तपक्रिया देखी ए गच्छने चक्रेश्वरी नामे शासन देवी सान्निध्य करे छे तेथी ते अनेक शाखाए वधे छे.
ए अंचळगच्छना नायक प्रभु श्री धर्मघोषमूरिए बावनसो श्लोक प्रमाणनो वृहत् शतपदी नामे ग्रंथ (प्राकृतमा) रच्यो छे. तेमां एकसो वीश प्रश्नोत्तरना विचार छे.
ते ग्रंथमाथी नीचे लखेला केटलाक विशेष उपयोगी विचारो आ लघु शंतपदीमां लीधेला छे.
विचारो. (१) परिकरवालीज प्रतिमा वांदवी एम एकांत नथी.(पृ. १) (२) प्रतिमामां वस्त्रांचळ करबुं घटित छे..... .... (वृ. (३) प्रतिष्टा यतिए नहि पण श्रावके करवी. .... (वृ. ३) (४) दीपपूजा न करवी. .... .... (५) अक्षतपूजा थइ शके छे. .... (६) फळपूजा न करवी. ..... (७) पत्रपूजा थइ शके छे. .... (८) बळि नहि चडाववी. .. ... (९) सतरभेदी पूजाज करवी. ... (१०) पुस्तकपूजा थइ शके छे. ....
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