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________________ शतपदी भाषांतर. ( १८३ ) अने पूर्ण मुखचंद्रने आमतेम भटकतो भूखेलो राहु राते ग्रास करी जशे. माटे तारे घरना अंदर अंधारामां एकांते शय्या करवी. " विचार ११३ मो. ( चोमासा बाबत शंका समाधान. ) प्रश्नः - कल्पभाष्यनी सामान्य तथा विशेषचूर्णिमां त्रीजा उद्देशमां कह्युं छे के "जो चीखल कायम होय, अथवा वर्षाद पड्या करतो होय तो ते कारणे मागशर विदि दशम सूधी पण साधुओ एक क्षेत्र स्थिर रहे छे. पण ते कारण नहि होय तो तो कार्तिकी पूनमेज नीकलबुं." आ ऊपरथी चोमासीपडिकमणुं चौदशनुं केम नहि आवे ? उत्तरः- एज चूर्णिकारोए ए पाठ पछी तरतज पांचमी तथा सातमी गाथामां, तथा पहेला उद्देशामां पूनमनुंज चोमासी पडिकमणुं कहुं छे. तेना दाखला : पांचमी गाथामा ए वात छे के (भाद्रवा सुदि पांचम पछी ) मुनिनो स्थिरवास जघन्यपदे सित्तेर दहाडा, मध्यमपदे असी, ने के एकसोदश दिन, अने मागसर आवतां पण दृष्टि वरस्याज करती होय तो उत्कृष्टुं एकसोवीस दिन पण थाय छे. आ प्रसंगे सामान्यचूर्णिमां सित्तेर दिन बाबत खुलासों क रतां एम लख्युं छे जे पचास दहाडे पजूसण करी कार्त्तिक पूनमे पकिमी बीजे दिवसे विहार करतां सित्तेर दिवस थाय छे. विशेषचूर्णिमां वधु खुलासो कर्यो छे जे पचाश दहाडा हींडता रही मळेला क्षेत्रमां भादरवा सुदि पांचमे पजोसण करी कार्त्ति - की पूनमे पकिमीने वीजे दिने विहार करतां मित्तेर दहाडा थया.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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