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शतपदी भाषांतर.
( १७१ )
चूर्णिना पाठनी कलम पेलीमां चार ठेकाणे सामायिक करतां नियमा आवश्यक करवानुं लख्युं छे अने पांचमा नवराशवाळा खेतरखळा वगेरा स्थळ माटे एम छे जे त्यां कोइ वेला संपूर्ण पBrass पण थई शके ने कोइ वेला केवल सामायिक पण थाय. वे एवी रीते के त्यां पोताने वधु वखत रहेवानुं होय ने भूमि पण जीवजंतुरहित, गरबडरहित, स्त्री वगेरानी आवजाव रहित मोक कासवाळी, अग्निनी जोतथी रहित, तथा मिथ्यादृष्टि गृहस्थथी मोकळी होय तो त्यां षडावश्यक पण थइ शके. वळी कोइ कारण विशेषे सामायिक नहि लेतां फक्त शेष आवश्यक पण कराय छे. अने जो त्यां मिथ्यादृष्टि गृहस्थों हाजर होय तो केवल सामायिक लड़ नोकरवाळीज फेरवाय छे.
कोइ पूछशे के इरियावही पडिकम्या विना नोकार केम ज़पाय ? तेने ए उत्तर छे के शास्त्रमां कधुं छे के एक अजाण गोवाल नोकार गणतो थको तेनां प्रभावे चंपानगरीमा सुदर्शन शेठ थयो तथा निशीथचूर्णिमां कहां छे के अनुप्रेक्षा ( चिंतना ) सर्व ठेकाणे अविरुद्ध छे.
विचार ११२ मो.
( चोमासी तथा पांखी पूनमनीज छे. ) प्रश्नः - पांखी तथा चोमासी चौदशनी कां नथी करता ? उत्तरः- आगममां पांखी अने चोमासी पूनमनीज कहेली छे. तेना दाखला.
(१) पर्युषण कल्पमां कहां छे के आषाढी पूनमे चोमासुं क रवा लायक क्षेत्रमां जइ चोमासी पडिकमणुं करवुं.