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(६९०) पिताकी दृष्टि चुकाकर काम न करना, निधानका, आदान और पड़ी हुई वस्तुमें यतना रखना, दिनमें ब्रह्मचर्यका पालन करना, रात्रिमें पुरुषने परस्त्रीकी तथा स्त्रीने परपुरुषकी सेवा नहीं करना. धन धान्यआदि नवविधपरिग्रहका जितना प्रमाण रखा हो। उसमें भी संक्षेप करना. दिशापरिमाणव्रतमें भी किसीको भजना, संदेशा कहलाना, अधोभूमिको जाना इत्यादि वर्जित करना. स्नान, उबटन, धूप, विलेपन, आभूषण, फूल, तांबूल, कपूर, अगर, केशर, कस्तूरीका नाफा और कस्तूरी इन वस्तुओंका परिमाण रखना. मजीठ, लाख, कुसुंबा और नीलसे रंगे हुए वस्त्रका परिमाण करना, तथा रत्न, हीरा, मणि, सुवर्ण, चांदी, मोतीआदिका परिमाण करना. खजूर, द्राक्ष, अनार (दाडिम), उत्तत्तिय नारियल, केला, मीठा नींबू, जामफल, जामुन, खिरनी, नारंगी, बिजोरा, ककडी, अखरोट, वायमफल चकोत्रा, टेमरू, बिल्वफल, इमली, बेर, बिल्लुकफल, फूट, ककडी, केर, करौंदे, भोरड, नींबू, अम्लवेतस, इनका अथाणा, अंकुर, भांति भांतिके फूल तथा पत्र, सचित्त, बहुबीज, अनंतकाय आदिका भी क्रमशः त्याग करना । तथा विगय और विगयके अन्दर आनेवाली वस्तुका परिमाण करना. वस्त्र धोना, लीपना, खेत खोदना, नहलाना, दूसरेकी जूएं निकालना, कृषि सम्बन्धी भांति भांतिक कार्य, खांडना, पीसना, नहाना, अन्न पकाना, उबटन लगाना इत्यादिकका संक्षेप करना. तथा झूठी साक्षीका त्याग