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(६५९) संवेगी गुरूमहाराजके चरण-कमलोंके पास दीक्षा लूंगा ? मैं तपस्यासे दुर्बल-शरीर होकर कब भयसे अथवा घोर उपसर्गसे न डरता हुआ स्मशानआदिमें काउस्सग्ग कर उत्तमपुरुषोंकी करणी करूंगा ? इत्यादि ।
इतिश्रीरत्नशेखर सूरिविरचितश्राविधिकौमुदीकी हिंदीभाषाका रत्रिप्रकाशनामक
द्वितीयः प्रकाशः संपूर्णः