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योग्य सहायता न होते जाना तथा बहुत दुष्काल पडा हो वहां, दो राजाओं की परस्पर लडाई चलती हो वहां, डाकाआदि पड़ने से मार्ग बंद हो वहां, सघन बनमें तथा सायंकाल आदि भयंकर समय में अपनी शक्ति बिना तथा किसीकी सहायता बिना जाना, कि जिससे प्राण अथवा धनकी हानि हो, अथवा अन्य कोई अनर्थ सन्मुख आवे, सो कालविरुद्ध कहलाता है. अथवा फाल्गुनमास व्यतीत होजाने के बाद तिल पीलना, तिलका व्यापार करना, अथवा तिल भक्षण करनाआदि, वर्षाकाल में चवलाईआदिका शाक लेना आदि, तथा जहां बहुत जीवाकुल भूमि होवे वहां गाडे गाडी आदि हांकना . ऐसा भारी दोष उपजानेवाला कृत्य करना, वह कालविरुद्ध कहलाता है ।
राजविरुद्ध - राजाआदिके दोष निकालना, राजाके माननीय मंत्री आदिका आदरमान न करना, राजाके विपरीतलोगों की संगति करना, बैरीके स्थान में लोभसे जाना, बैरीके स्थान से आई हुई व्यक्ति के साथ व्यवहारादि रखना, राजाकी कृपा है ऐसा समझकर उसके किये हुए कार्यों में भी फेरफार करना, नगरके शिष्टले गोंसे विपरीत चलना, अपने स्वामीके साथ नमकहरामी करना इत्यादि राज्यविरुद्ध कहलाता है. उसका परिणाम बडा ही दुःसह है, जैसे भुवनभानुकेवली का जीव रोहिणी हुई. वह यद्यपि निष्ठावान, पढी हुई तथा स्वा