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चांडाल ) कहलाते हैं, और पांचवा जातिचांडाल है । विश्वासतके ऊपर यहां विसेमिराका दृष्टान्त कहते हैं. यथा:
विशालानगरी में नंदनामक राजा, भानुमतीनामक रानी, विजयपालनामक राजपुत्र और बहुश्रुतनामक मंत्री था. राजा नंद भानुमतीरानी में बहुत आसक्त होनेसे सभा में भी उसको पासही रखता था.
वैद्यो गुरुच मन्त्री च, यस्य राज्ञः प्रियंवदाः । शरीरधर्मकोशेभ्यः, क्षिप्रं स परिहीयते ।। १ ।। " जिस राजाके वैद्य, गुरु, और मंत्री प्रसन्नता रखने के निमित्त, केवल मधुरवचन बोलने ही वाले हों, राजाके कोप के भय से सत्यबात भी नहीं कहते, क्रमशः उस राजाके शरीर, धर्म और भंडारका नाश होता है. ऐसा नीतिशास्त्रका वचन होने से राजाको सत्यबात कहना अपना कर्तव्य है. यह सोचकर मंत्रीने राजा से कहा कि, " हे महाराज ! सभा में रानी साहिबको पास रखना योग्य नहीं है, कहा है कि
अत्यासन्ना विनाशाय, दूरस्था न फलप्रदाः । सेव्या मध्यमभावेन राजवह्निगुरुश्रियः ॥ १ ॥ " राजा, अग्नि, गुरु, और स्त्री ये चार वस्तुएं बहुत समीप रहें तो विनाश करती हैं, और बहुत दूर हों तो अपना अपना फल बराबर नहीं दे सकतीं. इसलिये रानीका एक उत्तम छायाचित्र ( फोटो ) बनवाकर उसे पास राखिये. " राजाने