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अश्व, शस्त्र, शास्त्र वीणा, वाणी, नर और स्त्री इतनी वस्तुएं योग्यपुरुष के हाथमें जायँ तो श्रेष्ठ योग्यता पाती हैं, और अयोग्य पुरुषों के हाथमें जावे तो योग्यता नहीं पाती । जिणहाके ऐसे वचनसे भीमदेव राजाने हर्षित हो उसे कोतवाल - का अधिकार दिया। इसके बाद जिगहाने गुजरातदेश में चोरका नाममात्र भी न रहने दिया ।
एक दिन सोरठ देश के किसी चारणने जिणहाकी परीक्षा करने के हेतु ऊंटकी चोरी करी । जिणहाके सिपाही उसे पकडकर देवपूजा के समय प्रातः काल में उसके सन्मुख लाये | उसने ( जिणहाने ) फूलका बीट तोडकर सूचना दी कि " इसे मार डालो " तब चारणने कहा --
जिणहाओ नइ जिणवरह, न मिले तारो तार । जिण कर जिणवर पूजिए, ते किम मारणहार ? ॥१॥ चारणका यह वचन सुन शर्मित हो जिणहाने "फिरसे चोरी न करना " यह कह उसे छोड दिया। चारण बोलाइक्का चोरी सा किया, जा खोलडे न माय । बीजी चोरी किम करे ?, चारण चोर न थाय ॥ ४ ॥ चारणकी इस प्रकार चतुरतापूर्ण उक्ति सुनकर जिणहाने उसे पहिरावणी ( सिरोपाव ) दी। पश्चात् जिणहाने तीर्थयात्राएं करी, जिनमंदिर बंधाये, पुस्तकें लिखाई, तथा अन्यभी बहुतसा पुण्य किया । जिणहाने पोटली ऊपरका डाण (कर,