SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१६ श्रीज्ञानविलास. छिय तिहांलगेनीगमकेहेवाय हवेअवरनयवर्णवु तेसण जोसखदाय॥११॥ढाल३०मीरामचंद्रकेबागमांत्रांबोमो रीरह्योरी एदेशी।पुछेनरवलीतेह घरमांजीवघणोरीवल तबोलेतेह संग्रहनयनणोरी॥१॥नयनयप्रतेसार उत्तरप्र त्यत्तरकहोरी समजिलेजोविचार संक्षेपेतेहवहोरी॥२॥त वउत्तरदेतेह श्रासनमाहेरहोरी वलतपछेतेह तमेकिहां वसोरी॥३॥हवेवोल्योव्यवहार शरिरमांहेवसोरी रजसत्र नाखेएम निजउपयोगरसोरी ॥४॥शब्दनयबोल्योताम स्वभावमाहेरहोरि परनावकिधोत्याग श्रद्धाशद्धग्रहोरि॥ नियसंनिरुढतांम कहनिजगुणमांवसोरि ज्ञानादिकग णमांहे एवंभुतकहोरि॥६॥भाख्योजेमद्रष्टांत सर्ववस्तुमां हेकहोरि पुछेकोइकएम एकप्रदेशलहोरि ॥७॥ खेत्रकरि अंगिकार कहोखेत्रएकोणतणोरि निगमभाखेएम षटद्र व्यपणोरि ॥८॥ कारणसुजोतास अाकाशप्रदेशल हेरि एकेषटद्रव्यहोय तवसंग्रहकहेरि ॥९॥ अप्रदेशी छेकाल तेतिहांनविमलेरी सर्वलोकमांहेजाण एकसमय लहरि॥१०॥तथिजुदोनहित्राकाश कालविनापंचग्रहोरी तवबोलेव्यवहार मुख्यद्रव्यलहोर॥११॥ रजुसुत्रनाखे एम उपयोगजासदियोरी तवतेद्रव्यकहाय दूजोनाहि कहोरी॥१२॥बोलेशब्दनयसार नामजासलहोरि तेद्रव्य नोप्रदेश वलतिसंभिरुढकहोरि ॥१३॥ एकत्राकाशप्रदेश
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy