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________________ श्रीसम्यक्हार. १०७ नादिकथि॥३॥ अकस्मात्भय अंधकारादिक ॥४॥ या जीवकानयदूर्भक्षादिकाता मर्णनयमरवानो॥६॥ अपि तभयउपजवानो॥७॥ वलिसाधहोयतेबाठमदकरेनहि।। तेकिया। जातिमद॥१ कुलमद॥२॥रुपमद ॥३॥ श्रुतम द॥४॥ बलमद॥५॥ तपमद॥६॥ लानमद॥७॥ इश्वरम दा॥ वलिनवविधब्रह्मचर्यनोअधिकारागे पंचमहाव्र तनाअधिकारमांकह्योछे तथावलिदशविधयतिधर्मकोछे खंतिक्रोधादिकरहित॥३॥ मार्दवमाननोत्याग॥२॥श्रार्ज वमायानोत्याग॥३॥मक्तिनालोभनोत्याग॥४॥ तपतेवार भेदे॥५॥ संजमतेत्राश्रवनोरोध ॥६॥ सत्यतेमषानोत्या ग॥७॥ सौच्यतेनिलेपपणु॥८॥ अकंचनतेधननोत्याग॥ ९॥ ब्रह्मचर्यतदृढसंजम॥१०॥ नित्याराधे॥ अग्यार श्रावकनिप्रतिमाजाणे तथाबारसाधुनिप्रतिमातेनांनाम कहछे॥पेहेलीएकमासनि॥१॥वेमासनि॥२॥त्रणमासनि ॥३॥चारमासनि॥४॥ पांचमासनि ॥५॥ छमासनि॥६॥ सातमासनी॥७॥सातअहोरात्रिनि।।। वलिसातबहो रात्रिनि॥९||सातअहोरात्रीनि ॥१०॥ एकहोरात्रिनि॥ ११॥ एकरात्रिनि ॥१२॥इतिसाधुनीबारप्रतिमा हवेपे हेलिप्रतिमावहत्यारेएकदांतिंत्राहारनिएकदांतिपाणीनी एमसातमीप्रतिमाए सातदांतिश्राहारनीने सातदांति पाणीनीलहे अाठमीपडीमाउतानसेन अथवापासाभरक - -
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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