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________________ घंट बजडायो थयो घोंघाट, प्रभु मंदीरमां आव्यो ठीकठाक । अर्पे संघने एकसो पचीस, लेवे अवीचल सुख जगीस ।। भंडारी छोगालाल गेवरचंद, जीवाजी कुळमां नीत आनंद। ___ धूप सुवासे कर्म क्षय थाय, मनना मनोरथ सर्व पुराय ।। एकसो पचीसे अमर नाम, प्रभु प्रतापे पामे धन धाम । दर्पण धरावे प्रभु मुख सामे, शीरेमल कुंदनमल सुख पामे ।। मलतानमल जवाजीका गुंन ग्राम, आप्या सवासो हाथे प्रमाण । शा शीरेमल शेशमल दिल उमंग, भक्ति करतां नयनानंद ।। वाय वींझणे प्रभु रे अंग, हरखे मलीने समाज संग। समरथमल वजेंगजीरा बडभागी, खर्ची सवासो पाम्या आबादी । शुकराज छगनलाल अभीराम,जेरुपजीरो दिपाव्यो नाम। चडती दशाने भाग्य ज जागे, गुंहली रचावे प्रभु रे आगे ।। साचा मोतीरो साथीओ पुरावे, श्रीफल सोपारी उपर मुकावे। ____ मुता प्रतापचंद भलाजीकेरा, करे छांटला केशर गेरा ।। सोवन कचोली भरी निज हाथ, मनमोहन पुजे जगतात । एकसो पचीस भावथी आपे, भव भव भावठ जीनजी कापे ।। रंग पाकोने पानांज झळके, शोभा अपार ताराज्युं चळके । ____ मंडली करे नृत्य जीन आगे, भाव उज्वल सुणतां जागे ।। तबलां पेटीरी मचावे धुन, मधुर स्वरथी गावे छे गुण।। दश दिवस नोकारसी कीनी, द्रव्य खर्चीने कीरती लीनी ।। भात भातना करी पकवान, जीमे महाजन वध्यो जशमान । रात्रे भावना बेसेजे वार, झगमग दीप जोत अपार ।। आठे दिवस पुजा भणाय, नवनवी आंगी नीत रचाय। अष्टोतरी पूजा छेली भणाय, चडती संघमां जय जय वरताय ।। मंत्र पुरण जे टाणे थावे, अष्टद्रव्य लई प्रीते चडावे । संघ सर्व त्यां हाजर समाज, जय जय बोले एक अवाज ।। समाप्त ओच्छव ईणी रीते थाय, रेडीओ मंडपमां नीत गोठवाय । ___टुंक वर्णन बहोलो विस्तार, विद्यासागरनो न आवे पार ।। कविजन भाखे मुखथी साफ, भूलचूकरी करजो माफ। ए गुण प्रभुना जे जन सांभळसे, भवना बंधन दुःखडा टळसे ।। सद्गुरु सेवामां सद्भाग, श्रीजैनधर्म स्हाये वीतराग । नेमीचंदनी वाणी गुणखाणी, भवीजन लेजो प्रीते पिछाणी ।। 10 -
SR No.022169
Book TitleSamyaktva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay, Premlata N Surana
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages382
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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